मानसिक तकलीफों में दवाई कैसे काम करती है ।

मानसिक दवाइयाँ कैसे काम करती है ?


“ विचारों की तकलीफ पर दवाई कैसे असर करती है ? “ यह सर्वसाधारणत: मनमें उठने वाला प्रश्न है की “ तकलीफ तो मन की है ; विचारों की है | उसमें दवाई का क्या काम हो सकता है | दवाई तो एक रसायन मात्र है | “ कई संशोधनों के बाद मानसिक विज्ञान शास्त्रज्ञो को पता चला की मन के अंदर विविध प्रकार के रसायन अर्थात न्यूरो ट्रान्समीटरर्स (Neuro- Transmitters) होते है जो विविध विचार, भाव भावनाओं, बरताव ईनके ऊपर कार्य करते है | मस्तिक में अनेक विविध भागों में अनेक खास कार्य निर्धारित किये हुए होते है | मस्तिक में चलने – बोलने का अलग अलग केंद्र होता है वैसे ही विचारों और भाव – भावनाओं के भी अनेक विशेष केंद्र होते है | जब कभी किसी इंसान के जीवन में तनाव बढ़ जाता है ; तब मस्तिक में तनाव के रसायन (Stress-Harmones) निर्माण होते है | जब ये तनाव – रसायन ज्यादा दिनों तक मस्तिक के बढे रहते है तब वे मस्तिक के भाव (Emotion) वाले केंद्र पर कार्य करने लगते है | ईनके कार्य की वजह से ; मस्तिक के उदासीनता (Depression) पैदा करने वाले केंद्र सक्रिय (Activate) होने के वजह से इंसान उदास रहने लगता है | कुछ काम में ; खाने पीने में मन नहीं लगता | लोगों से बातचीत करना कम कर देता है | कभी कभी बीना किसी वजह भी ये तनाव के रसायन तयार होते है ( मस्तिक के अनैसर्गिक (Abnormal) कार्य करने के वजह से |) तो बाहरी वजह न होते हुए भी मस्तिक के मानसिक तकलीफ वाले केंद्र सक्रीय हो जाते है और इंसान का बर्ताव बदल जाता है | ईन तकलीफों के लिए जो औषधियाँ संशोधित हुई है उनमें मस्तिक के मानसिक तकलीफ तयार करने वाले केंद्र पर कार्य करने की क्षमता होती है | ये दवाईयाँ मन के तनाव और उदासिनता देने वाले रसायनों को कम करती है और उत्साह और आनंद देने वाले रसायनों को बढ़ाती है | इसलिए दवाईयाँ मानसिक बिमारियों के काम आती है | मानसिक बीमारी किसी भी आम बीमारी की तरह ही होती है | मधुमेह में स्वादुपिंड (Pancreas) ग्रंथी बराबर काम नहीं करती वैसे ही मानसिक बिमारियों में मस्तिक की कुछ पेशियाँ काम नहीं करती | ईसलिए बिना हिचकिचाहट तकलीफों के उपचार / दवाओं अपने मानसोपचार तज्ञ के मार्गदर्शन में जरुर ले | --डॉ निशिकांत विभुते

Comments