मानसिक तकलिफो के उपचार के बारे में गलत फहमियाँ
(MYTH ABOUT PSYCHIATRIC MEDICATIONS)
“ * मनोसोपचार तज्ञ सिर्फ नींद की गोलियां ही देते है “
सालोंसे यह एक सर्वसामान्य तौर पर लोगों में गलतफहमि बैठ गई है की “ मनोसोपचारतज्ञ (PSYCHIATRIST) सिर्फ नींद की गोली ही देते है | उनसे इंसान पूरा वक्त सोते रहता है | सोते रहने से वह इंसान किसी काम का नहीं रह जाता |”
ईस विचार धारणा निर्माण होने के पीछे कुछ कारण जरुर है | सालों पेहले वैद्यकिय विज्ञान (medical science) में शोध हुए ; तब विविध मानसिक तकलीफों के लिए जो दवाईयाँ शोध कर के (Research) उपलब्ध की गयी उनमें बिमारियों को ठीक करने के साथ साथ नींद का आड असर / साईड इफ़ेक्ट भी होता था |
ईस वजह से मरीज दवा चालू करने के बाद नींद में रहता था |
लेकिन वो दस – पंधरहा साल पहले की बात है |
आजकल जो नई दवाईयाँ विज्ञानने संशोधन करके निर्माण की है उनमें ईस तरह के साईड इफेक्ट्स नहीं रहतें |
नई दवाईयाँ चालू करने के बाद मरीज की मानसिक तकलीफे धीरे धीरे कम होती जाती है और वह व्यक्ती किसी और आम ईंसान की तरह रोज का काम कर सकता है | चाहें वो घर का काम हो या बाहर का या बोद्धिक काम हो |
ईस लिए “मरीज हमेशा सोते रहेगा” यह वेहम मन में रख कर मनोसोपचार तज्ञ के पास लेकर जाने को ना टाले |मरीज को जल्दी ठीक करना जरुरी होता है |
जो भी साईड इफेक्ट्स दवा से होते है उन्हें अपने डॉक्टर को खुलकर बताएं | जिस की वजह से मरीज को आछा उपचार मिल सकेगा और आड असर /साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होगा |
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