Bipolar Mood Disorder Explained in Details in HIndi by Dr Nishikant Vibhute (बाईपोलार डिसऑर्डर) हिंदी में विस्तृत जानकारी


             BIPOLAR MOOD DISORDER (बाईपोलार डिसऑर्डर) 

(मैनिक डीप्रेसिव्ह सायकोसिस)

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प्र. बाईपोलार डिसऑर्डर क्या होता है?

उ. बाईपोलार डिसऑर्डर, जिसे दो ध्रुवीय बीमारी भी कहा जाता है, यह मन की ऐसी बिमारी है, जिसके लक्षण दो POLES या ने दो ध्रुव जैसे अलग अलग  होते है |

 उसमें से एक (पोल) ध्रुव होता है “मेनिया” (MANIA) अत्यानंद/ उन्माद और दूसरा ध्रुव होता है (DEPRESSION)उदासीनता . इस बिमारी से ग्रथित व्यक्ति कुछ महीने (MANIA) मेनिया मतलब अति उत्साह वाली मन:स्थिति में रहता है तो कुछ महीने उदासी डिप्रेशन(DEPRESSION) में रहता है | बिच के  कुछ महीने वह व्यक्ति बिलकुल नॉर्मल मन:स्थिती में भी रह सकता है|


प्र. बाईपोलार डिसऑर्डर कितना COMMON है?

उ. यह एक common सर्व साधारण डिसऑर्डर है | एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में १५० लोगों में  व्यक्ति बाईपोलार डिसऑर्डर से एक व्यक्ति ग्रथित है| और उन में से ७०% लोगों को किसी प्रकार का उपचार नहीं मिलता | यह अत्यंत चिंताजनक विषय है| इसमें एक प्रमुख कारण इस बिमारी के बारे में जानकारी का अभाव है| इसी वजह से इस बीमारी की जानकारी जनमानस तक पहुँचाना बहुत जरुरी है |


प्र. बाईपोलार डिसऑर्डर किसे होता है ?

उ. बाईपोलार डिसऑर्डर किसी भी पुरुष या स्त्री को हो सकता है | किसी भी आर्थिक स्थिती में रहने वाले (ECONOMIC STATUS) व्यक्ति को यह बाईपोलार डिसऑर्डर हो सकता है | यह किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है | लेकिन ज्यादा लोगों में यह १५ से २० साल की उम्र में शुरू होता है | कभी कभी  ४०-४५ के उम्र में भी यह शुरू हो सकता है| 


प्र. बाईपोलार डिसऑर्डर क्या तणाव की वजह से निर्माण होता है? 

बाईपोलार डिसऑर्डर निर्माण होने के कारण क्या है ? (CAUSES OF बाईपोलार डिसऑर्डर)

उ.   बाईपोलार डिसऑर्डर निर्माण होने का  स्पष्ट रूप से कारण बताया नहीं जा सकता | विविध कारणों के एकसाथ होने से बाईपोलार डिसऑर्डर हो सकता है | तणावपूर्व जीवन, बचपन में मुश्किल परिस्थिति का सामना इत्यादी कारणों के साथ साथ यह एक अनुवांशिक बिमारी भी मानी जाती है | यह १००% अनुवांशिक नहीं है | मतलब हरबार जिसे यह बिमारी हुई है उसके बच्चो  में बाईपोलार डिसऑर्डर पाया जाएगा ऐसा नहीं है | एक रिसर्च के अनुसार १४% शक्यता होती है कि माता -पिता या अन्य किसी नजदिकी रिश्तेदार में  यह बिमारी पायी जा सकती है | हर एक इन्सान के खून में एक विशिष्ट जिनेटिक सेट अप (जनुक संच) होता है जिसमे अगर ईस बिमारी जनुक (GENES) आया है तो उसे यह बिमारी हो सकती है| 



प्र. बाईपोलार डिसऑर्डरमें मस्तिष्क में क्या बदल होते है ?

   इस बिमारी में मस्तिष्क में कुछ खास रसायनों की (NEUROTRANSMITTER) की मात्रा बढती  है जिस वजह से व्यक्ति के बर्ताव में बदल दिखने लगता है | 

    जिस तरह डायबिटीज शरीर के PANCREAS और अन्य ग्रंथियों की (DISFUNCTION) बराबर काम न करने के वजह से होता है वैसे ही बाईपोलार डिसऑर्डर भी मस्तिष्क के कुछ पेशी बराबर काम न करने से होता है | जब यह बिमारी  शुरू होती है तब  किसी मानसिक तणाव का होना जरुरी नहीं है | अपने आप मस्तिष्क के रसायन बढ़ने या घटने लगते है और उस वजह से बर्ताव में बदल दिखने लगते है| कभी वह इन्सान “मैनिक” (MANIC) अतिउत्साह तो वह कभी उदासिनता (DEPRESSION) की स्थिती में दिखने लगता है| 

ये मस्तिष्क में बढ़ने वाले रसायन व्यक्ति में बिना वजह उत्साह या उदासीनता निर्माण करते है | कभी कभी भास् hallucinations भी निर्माण होते है |

 

प्र.   एक MANIC “मैनिक” अतिउत्साह की PHASE के लक्षण क्या है?

उ.  “मेनिक फेज शुरू होने का पहिला लक्षण होता है निंद कम हो जाना | व्यक्ति को ज्यादा निंद की जरुरत ही नहीं है ऐसा महसूस होता है | वह कम सो कर भी पूरा दिन तरोताजा, उत्साह से भरपूर रहता है| वह कभी दो घंटे तो कभी चार घंटे ही सोने लगता है| 

     व्यक्ति बिना किसी कारण के अत्यंत आनद में रहने लगता है| गाने  गुननाने लगता है| कभी जोर जोर से गाने बजाने लगता  है | बड़ी बड़ी बाते करने लगता है | मै करोडपति हूं| मै बहुत कुछ समाज के लिए कर सकता हूं | भगवान मेरे साथ है | वह मुझे विशेष ताकद देते है | बाकी सब लोग मेरे हिसाब से छोटे है| मै जो कहता हूं वह सब लोगों ने मान लेना चाहिए | 

      ज्यादा बात करना | बात करते करते दुसरे विषय पर पहुंचना | विषय बदलते  रहना | वैयक्तिक बाते जो खुले में नहीं बतानी चाहिए  वह बाते सब जगह बताते रहना | बात अत्यंत गति से करना | 

     एक विषय में ध्यान टिका न रहना | एक काम करते करते दूसरा काम करने लग जाना | दिनभर कुछ ना कुछ बिना रुके काम करते जाना | विविध जगह में INTEREST जागृत होना | मै गायक भी बन सकता हूं | मै नेता भी बन सकता हूं | ऐसे विविध क्षेत्रों की बाते करना | कभी कभी उत्साह में आकर पैसे या मौल्यवान चीजें बाट देना | कभी जरुरत न होते हुए भी महंगे मोबाईल या लेपटॉप खरीद लेना | घंटो तक फोन पर बात करते रहना | भड़कीले रंग के कपडे ज्यादा मेकअप करना | कभी महिलाओं प्रति ज्यादा आकर्षण बढ़ जाना और गलत राह पर निकलना | कुछ लोग नशा करने लगते है| कभी कभी “मैनिक” फेज में भास भी होते है| जैसे की भगवान् मुझसे बात करते है | कोई मेरे ऊपर लगातार बात कर रहा है| 

     DELUSION मतलब गलत विचार भी बनने लगते है, जैसे मै महान व्यक्ति हूं इसलिए लोग मेरे खिलाफ षडयंत्र रच रहे है| 

       इस तरीके से व्यक्ती का उत्साह, विचार, शब्द, बर्ताव सभी चरम सीमा पर पहुँचने लगते है “मैनिक “ एपिसोड में|


प्र. एक डिप्रेसिव (DEPRESSIVE) एपिसोड (निराशा, उदासिनता) में क्या लक्षण दिखते है ?

उ. १) हमेशा उदास रहना | दू:खी रहना |

   २) पहले जिन कार्यो में उसे रस आता था | आनंद आता था |  ऐसे कार्यों को करने का उत्साह कम हो जाना |

    ३)  वजन कम हो जाना | या वजन बढ़ जाना | खाने पिने में रूचि कम होना |

    ४) निंद आने में मुश्किल होना (INSOMNIA)|

   ५) एक जगह पूरा  वक्त बैठे रहना |कभी कभी विचार करते करते घर में लगातर चलते रहना |

    ६) नित्य कार्य करने में उर्जा की कमी महसूस होना | (LACK OF ENERGY) 

   ७) अपनी कुछ कीमत नहीं |मुझे किसी तरह की मदद नहीं पायेगी | मुझे  आगे मन:स्थिती सुधारने की कोई आशा नहीं दिख रही है| ऐसा लगना|

    ८) CONCENTRATION ध्यान कम हो जाना | जिससे याद रखने में मुश्किल होना|

    ९) DEATH मृत्यु  के बारे में बार बार विचार आना | कभी कभी आत्महत्या (SUICIDE) के विचार आना|  

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प्र. क्या बाईपोलार डिसऑर्डर ठिक हो सकता है ?

उ. बाईपोलार डिसऑर्डर को नियंत्रण में लाया जा सकता है| बाईपोलार डिसऑर्डर कि कोनसी स्थिती चल रही है उसके अनुसार दवाईयां  दि जाती है | दवाईयां मस्तिष्क के रसायनों को नियंत्रित करती है| जिस वजह से उस व्यक्ति “मैनिया” या “डिप्रेशन” के लक्षण कम हो जाने लगते है|

      दवाई की वजह से लक्षण जल्दी  नियंत्रण में आते है और बार बार डिप्रेशन या मैनिया में जाने  की  शक्यता कम होने लगती है| दवाई  के चलते अगर ऐसे मेनिया या दिप्रेशन के एपिसोड आए तो भी वो कम तीव्रता से आते है और जल्दी नियंत्रण में आते है| जब उस व्यक्ति को मेनिया या उदासीनता के लक्ष्ण न भी हो तो भी उसे कुछ दवाई  मन को स्थिर रखने के हेतु से , और ऐसे एपिसोड बार बार न हो इस हेतु से मानसोपचारतज्ञ के निरिक्षण में चालु रखी जाती है |


प्र. क्या बाईपोलार डिसऑर्डर में दवाई जिदंगी भर खानी पड़ सकती है?

उ.   इस बारें में स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता | यह पुरी तरह हर एक व्यक्ति में कितनी तीव्रता से कितने बार बार यह एपिसोड होते है इस बात पर पुरी तरह से निर्भर करता है | अगर किसी व्यक्ति को सिर्फ एकही बार ऐसा मेनिया का एपिसोड आया और उसके बाद कई सालों तक कोई एपिसोड नहीं आया तो उसे आगे दवाई की जरुरत नहीं पड़ सकती | लेकिन अगर किसी व्यक्ति को बार बार ऐसे मेनिया या डिप्रेशन के एपिसोड आते है तो उसे लम्बे समय तक दवाई लेनी पड़ सकती है |

अगर वह व्यक्ति मानसोपचार तज्ञ के सलाह के अनुसार नित्य नियम से उपचार करता है तो उसका जीवन काफी अच्छी तरीके से कट सकता है (QUALITY OF LIFE).

अगर किसी व्यक्ति को बाईपोलर डिसऑर्डर है और वह दवा  बार बार बंद करता है तो उसकी जीवन की गाडी बार बार पटरी से उतर सकती है | गलत निर्णय और बर्ताव से नौकरी और रिश्ते पर भी बुरा असर पद सकता है | इसलिए डॉक्टर के सलाह के अनुसार दवाई शुरू रखना जरुरी होता है |

कुछ कुछ गिने चुने (Rare cases) केसेस में एक या दो एपिसोड आने के बाद कई साल तक कोई एपिसोड आते नहीं , ऐसे परिस्थिति में डॉक्टर दवा कम या बंद रख कर ग्रथित व्यक्ति को निगरानी ( Observation) में रखते है | लेकिन अगर फिर से एपिसोड आने लगे तो दवाई शुरू करनी पड़ती है |



प्र.  बाईपोलार डिसऑर्डर को क्या हम ध्यान या RELAXATION से ठिक कर सकते है ?

उ. बाईपोलार डिसऑर्डर मस्तिष्क में रसायन बढ़ने या कम होने के वजह से होता है | और यह रसायन दवाइयों से ही नियंत्रण में आते है | लेकिन ध्यान और RELAXATION व्यक्ति की जीवन शैली अच्छा और मजबूत बनाता है | जिससे ऐसे एपिसोड होने की शक्यता कम होती है | लेकिन सिर्फ योग या रिलैक्सेशन से बाईपोलार डिसऑर्डर ठीक नही हो सकता | अच्छी जीवन शैली हमारे जीवन को सदृढ़ मजबूत बनती है | किसी भी तरह की बीमारी की शक्यता को कम करती है | लेकिन शक्यता को पूरी तरह नष्ट नहीं कर सकती | 

प्र.  बाईपोलार डिसऑर्डर ग्रथित व्यक्ति नार्मल जिंदगी जी सकता है ?

ऊ: अगर डॉक्टर के निर्देश में दवाई नियमित रूप से खाए तो वह व्यक्ति बाईपोलार डिसऑर्डर होने के बावजूद नार्मल या लगभग नार्मल (normal or near normal) जीवन जी सकता है | अगर मेनिया या डिप्रेशन के एपिसोड आए तो भी उतनी तीव्रता से नहीं आते और जल्दी ही कण्ट्रोल में आ जाते है |

सारांश : बाईपोलार डिसऑर्डर यह एक ऐसी बीमारी है जिसमे मस्तिष्क में रसायनों का संतुलन बिघड जाता है और व्यकी अति उत्साह या उदासीनता की मनस्थिति में जीने लगता है | इस बिमारी को नियंत्रित लाया जा सकता | सही समय दवा करना और डॉक्टर के निगरानी में दवा शुरू रखना व्यक्ति के लक्षणों को ठीक कर सकता है और जीवन के दर्जे को सुधर सकता है |





Ref : Genetics and bipolar disorder : https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3181866

https://www.psycom.net/bipolar-definition-dsm-5

https://health.economictimes.indiatimes.com/news/diagnostics/one-out-of-150-suffer-from-bipolar-disorder-in-india-70-percent-left-untreated-though-it-is-treatable/94053307

https://www.scoopwhoop.com/entertainment/celebrities-who-talked-about-mental-illnesses























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