स्किज़ोफ्रेनिआ
SCHIZOPHRENIA
परिचय :---
INTRODUCTION :---
स्किज़ोफ्रेनिआ एक ऐसा रोग है जो मनुष्य के विचार, अनुभूति और व्यवहार पर गंभीर असर करता है | मरीज के लिए वास्तविक और काल्पनिक अनुभवों मे फर्क करना कठिन हो जाता है |
मरीज के लिए तार्किक रूप से सोचना, सामान्य भावनाओं को व्यक्त करना और समाज मे उचित व्यवहार करना कठिन हो जाता है |
मरीज काल्पनिक विचारों की आंतरिक ज़िन्दगी मे जीता है एवं बाहरी दुनिया से अलग-थलग रहता है |
मरीज के कामकाज के तरीके एवं एकाग्रता दोनों पर असर पड़ता है |
व्यापकता :---
PREVALENCE :---
स्किज़ोफ्रेनिआ का वर्णन प्राचीन चिकित्सा एवं आयुर्वेदिक ग्रंथो मे भी है |स्किज़ोफ्रेनिआ सारी दुनिया मे फैला हुआ है |
स्किज़ोफ्रेनिआ मुश्किल से पाये जाने वाला रोग नहीं है | यह एक आम रोग है और समाज के प्रत्येक १०० मे से १ व्यक्ति को कभी न कभी अपने जीवनकाल मे स्किज़ोफ्रेनिआ हो सकता है |
भारत मे १ करोड़ से ज्यादा लोग इस बीमारी से पीड़ित है |
किस को हो सकता है ?
WHO GETS AFFECTED?
यह युवा और वयस्कों की बीमारी है |लेकिन कभी कभी छोटे बच्चों में भी ये बिमारी देखा जाता है |पुरुष एवं महिला दोनों ही सामान रूप से इससे प्रभावित होते हैं |
स्किज़ोफ्रेनिआ किसी भी जाति, संस्कृति, लिंग, वय और सामाजिक स्तर के लोगों मे समान रूप से हो सकता है |
क्यों होता है ?
CAUSES: ---
आनुवंशिक कारण (HERIDATORY/GENETIC)– पारिवारिक इतिहास
मनोवैज्ञानिक कारण ( साइकोलॉजिकल स्ट्रेस)– पारिवारिक समस्या तनावपूर्ण जीवन, सामाजिक – सांस्कृतिक प्रभाव
बचपन में क्षतिपूर्ण विकास ( STRESSFULL CHILDHOOD)|
गर्भावस्था और प्रसूति के दौरान तकलीफ
स्किज़ोफ्रेनिआ होने का मुख्य कारण है मस्तिष्क के चेतना तंतुओ के बीच के रासायनिक तत्वों में होने वाले परिवर्तन – खास करके डोपामिन में |
संकेत और लक्षण :---
SIGNS AND SYMPTOMS: ---
विचार व्यवहार
भावनाए
कार्यक्षमता
स्किज़ोफ्रेनिआ व्यक्ति के विचार, व्यवहार, भावनाए, कार्यक्षमता पर असर करता है |
अजीब से विचार और गलत मान्यताए जो कितना भी समझाने के बाद भी बदलती नहीं है |
व्यक्ति का शंकालु हो जाना
अपने जीवनसाथी के चरित्र पर शंका करना |
ऐसा लगना कि लोग मेरे विचार पढ़ सकते हैं |
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दूसरों को न सुनाई देने वाली काल्पनिक आवाज़े सुनाई देना |
डर लगनाअपनी ही दुनिया और विचारों में खोये रहना |
दूसरों को न सुनाई देने वाली काल्पनिक आवाज़े सुनाई देना |
डर लगनाअपनी ही दुनिया और विचारों में खोये रहना |
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असंबंध बातें करना |
अजीब सी हरकते करना एवं विचित्र अभिव्यक्तिया करना |
काल्पनिक वयक्तिओं से बातें करना |
छोटी छोटी बातों पर गुस्सा करना, उत्तेजित हो जाना |
कभी कभी आक्रामक व्यव्हार करना |
असंबंध बातें करना |
अजीब सी हरकते करना एवं विचित्र अभिव्यक्तिया करना |
काल्पनिक वयक्तिओं से बातें करना |
छोटी छोटी बातों पर गुस्सा करना, उत्तेजित हो जाना |
कभी कभी आक्रामक व्यव्हार करना |
सामाजिक और भावनात्मक उदासीनता | - कई दिनों तक घर से बाहर भटकना अथवा घर से बाहर निकलने के लिए मना करना |
दैनिक कामकाज जैसे की नहाना धोना, दाढ़ी बनाना, खाना पीना, कपड़े बदलना ईत्यादि में अनियमितता
बिना किसी वजह के हँसना | आईने में देखकर अजीबोगरीब चेहरे बनाना |
खालीपन महसूस करना |
भावनाओं की ठीक से अभिव्यक्ति न कर पाना ( किसी की मृत्यु पर हँसना )
दूसरों से अपने आपको जोड़ने एवं आपसी संबंध बनाये रखने में कठिनाई महसूस करना |
ख़ुदकुशी का विचार करना |
कामकाज में एकाग्रता की कमी होना जैसे की स्टोव का चालू छोड़ देना अथवा दूध में उबाल आने पर भी ध्यान न देना |
कामकाज में गलती करना
हिसाब किताब में गड़बड़ करना
भोजन में ज्यादा नमक डालना
कामकाज में गलत निर्णय लेना
काम से गायब रहना जिम्मेदारी का अभाव
बार बार नोकरी से इस्तीफा दे देते हैं |
विद्यार्थी अभ्यास छोड़ देते हैं या परीक्षा में नाकामयाब होते हैं |
गलतफहमीयाँ और वस्तविक्ताए :---
MYTHS & REALITIES: ---
गलतफहमी : इस व्यक्ति पर किसिने काला जादू कर दिया है | उसका व्यवहार किसी दानव या अमानुषिक शक्ति की वजह से है |
वास्तविक्ता : स्किज़ोफ्रेनिआ मंत्रतंत्र, ग्रहों की बूरी नज़र या देवी देवताओं के प्रकोप से नहीं होता है | मस्तिक में होने वाले भौतिक और रासायनिक परिवर्तन की वजह से व्यक्ति के विचार, व्यवहार, भावनाओं की अभिव्यक्ति और कार्यक्षमता पर असर पड़ता है |गलतफहमी : बार बार समझाने पर भी वह अपने विचारों पर अडिंग रहता है |
वास्तविक्ता : मस्तिक के कोषों में परिवर्तन के कारण व्यक्ति का अपने विचरों पर काबू नहीं रहता है | वास्तव में विचार व्यक्ति पर काबू कर लेते हैं |गलतफहमी : व्यक्ति आलसी और कामचोर हो जाता है |
वास्तविक्ता : कामकाज में अरुचि और मन का न लगना स्किज़ोफ्रेनिआ का एक लक्षण है | मरीज को काम करने की सिर्फ सलाह देने से वह फिर से काम शुरु नहीं करता है | इसके लिए उचित इलाज जरुरी है |गलतफहमी : ये दवाईयाँ नींद की गोलियाँ होती है, और व्यक्ति इनका आदि हो जाता है |
वास्तविक्ता : दवाईयाँ मस्तिक के कोषों के रसायनिक परिवर्तन को सही करती हैं, जिससे मरीज ठीक होता है | दवाईयाँ लेने से मरीज को नींद या सुस्ती आ जाती है ऐसा नहीं है | मरीज दैनिक कार्यो को कर सकता है | विद्यार्थी सामान्य रूप से पढ़ाई कर सकते हैं |गलतफहमी : ई. सी. टी. यानी कि ईलेक्टरो कन्वलसिव थेरेपी ( विधुत चिकित्सा या बिजली की शिकाई द्वारा उपचार ) मस्तिक को हानि पहुँचाती है और वह पीड़ादायक है |
वास्तविक्ता : सी. टी. स्केन, एम. आर. आई स्केन जैसे टेस्ट से बिना किसी शंका के यह साबित किया गया है कि ई. सी. टी. का उपचार मस्तिक के कोषों को कोई नुकशान नहीं पहोंचाता हैं और ना ही उन्हें कमजोर करता है | ई. सी. टी के इलाज के दौरान मरीज किसी भी प्रकार की पीड़ा महेसूस नहीं करता है |गलतफहमी : शादी मरीज की सभी समस्याओं का समाधान कर देगी |
वास्तविक्ता : जैसे डायबिटीज और ब्लडप्रेशर शादी से नहीं बल्कि योग्य इलाज़ से ठीक होते हैं, वैसे ही स्किज़ोफ्रेनिआ भी एक बिमारी है जिसके लिए सही इलाज़ जरुरी है |गलतफहमी : स्किज़ोफ्रेनिआ का मरीज हिंसक होता है |
वास्तविक्ता : ज्यादातर हिंसक घटनाओं में स्किज़ोफ्रेनिआ के मरीज नहीं बल्कि स्वस्थ समझे जाने वाले इंसान शामिल होते हैं |गलतफहमी : स्किज़ोफ्रेनिआ खराब पालन पोषण की वजह से होता है |
वास्तविक्ता : कोई भी ऐसा सबूत नहीं है जो यह साबित कर सके कि परिवारिक माहौल से स्किज़ोफ्रेनिआ होता है | बल्कि ऐसे कई सबूत हैं जो यह साबित करते हैं कि जैविक कारणों स्किज़ोफ्रेनिआ से होता है |गलतफहमी : स्किज़ोफ्रेनिआ वाले स्त्री एवं पुरूषों को अस्पताल मे रखना पड़ता है|
वास्तविक्ता : स्किज़ोफ्रेनिआ के काफी मरीजों का समाज में रहकर ही इलाज़ होता है | उनको अस्पताल में रखना जरुरी नहीं है |गलतफहमी : स्किज़ोफ्रेनिआ के मरीज अपने इलाज़ के बारे में निर्णय नहीं ले सकते हैं |
वास्तविक्ता : स्किज़ोफ्रेनिआ के ज्यादातर मरीज अपने इलाज़ के बारे में निर्णय लेने के लिए सक्षम और उत्सुक होते हैं | संशोधन से पता लगा है की इलाज़ में मरीज एवं पारिवारिक सदस्यों के शामिल होने से अच्छे होने की और लंबे समय तक इलाज चालु रख पाने की संभावना बढ़ जाती है |
गलतफहमी : स्किज़ोफ्रेनिआ विभाजित व्यक्तित्व या एक से ज्यादा व्यक्तित्व का रोग है |
वास्तविक्ता : स्किज़ोफ्रेनिआ शब्द का मूल अर्थ ग्रीक भाषा में ‘विभाजित मन’ होता है | वास्तव में यह विचार और भावनात्मक प्रकिया का विभाजन है न की व्यक्तित्व का | स्किज़ोफ्रेनिआ वाले इंसान का एक ही व्यक्तित्व है और एक ही रहेगा |गलतफहमी : स्किज़ोफ्रेनिआ वाले स्त्री और पुरुष मानसिक रूप से अविकसित होते हैं |
वास्तविक्ता : स्किज़ोफ्रेनिआ और मंदबुद्धि एकदम से अलग स्थिति है | स्किज़ोफ्रेनिआ सभी प्रकार की बुद्धि क्षमता वाले लोगों को हो सकता है | कभी कभी तो यह बुद्धिशाली और सर्जनात्मक क्षमता वाले स्त्री एवं पुरुषों में भी होता है |
इलाज़ :---
TREATMENT :---
इलाज़ के सामान्य प्रकार एन्टीसाईकोटिक दवाईयाँ
ई. सी. टी. ( विधुत चिकित्सा या बिजली की शिकाई द्वारा उपचार )
इंजेक्शन
पुर्नवास ( दुबारा कामकाज कर पाना )
शीघ्र निदान एवं उचित इलाज़ से मरीज के अच्छे होने की संभावना बढ़ जाती है |
नियमित और उचित इलाज़ से स्किज़ोफ्रेनिआ के कई मरीज सामान्य जिंदगी जी सकते हैं |
दवाईयों का संपूर्ण असर दिखने में वक्त लगता है |
बीमारी को दुबारा होने से रोकने के लिए लंबे समय तक का इलाज़ आवश्यक है |
Side Effects of Medicines
दवाई के दुष्परिणाम वक्त के साथ कम होते जाते है ।
नए संशोधन से बनी हुई दवाइयों में अत्यंत कम दुष्परिणाम होते है ।
पारिवारिक सदस्यों की भूमिका :---
ROLE OF FAMILY MEMBERS & CAREGIVERS :---
इलाज़ के साथ साथ पारिवारिक सदस्यों कि सहायता, हिम्मत और समझदारी भी बहुत जरुरी है |मरीज के सहायक बनिए और उसका उत्साह बढ़ाईए | उसका जरुरत से ज्यादा ध्यान मत रखिए और आलोचना मत कीजिए |
अयोग्य और बिनजरुरी तुलनाएँ मत कीजिए |
मरीज को नियमित रुप से दवाई लेने के लिए उत्साहित कीजिए | मनोचिकित्सक कि सलाह अनुसार दवाई चालु रखना जरुरी है | अपनी ईच्छानुसार उसकी मात्रा में परिवर्तन नहीं करना चाहिए |
मरीज को धीरे धीरे और नियमित रुप से उसकी जिम्मेदारीओं के प्रति प्रोत्साहित करना चाहिए | इससे उसका आत्मविश्वास बढेगा और उसके अच्छे होने की प्रक्रिया को फायदा होगा |
प्रारंभिक लक्षणों को पहचान के रोग को दुबारा होने से रोकिए | समय पर ली गई निष्णात ( मनोचिकित्सक ) की मदद से बीमारी को दुबारा होने से रोका जा सकता है |
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