अल्जाइमर डिमेन्शिया : भूलने की बीमारी । Alzheimer’s Dementia Explained In Details in HIndi By Dr. Nishikant Vibhute


   उम्र बढती जाती है वैसे ही कुछ बदलाव व्यक्ति कि सोच और यादशक्ति में आने लगती है |

DEMENTIA IN HINDI EXPLAINED IN DETAILS





Dementia in hindi


Dementia detailed hindi information


   संदिप (काल्पनिक नाम) के पिताजी दो दिन से लापता थे | कुछ महीनों से उनके बर्ताव में बदल दिख रहा था | घंटो बाथरूम के सामने खड़े रहते थे | रात को उठके कहते “चलो, सुबह हो गई है, सब को काम पे नहीं जाना है क्या ? मुझे देर हो रही है|” पर वे रिटायर हो कर लगभग २० साल गुजर चुके हैं | उन्हें लगता था की पुराना वक्त ही चल रहा है | और अचानक से नॉर्मल भी हो जाते थे | उन्हें होश आ जाता था की आजकल वे कहां पर है और वो क्या कर रहे है | उन्हें जगह और व्यक्तियों के नाम अब याद नहीं रहते थे | उन्हें लगता रहता था; उन्हें कभी कभी आवाज भी सुनाई देता था की कोई बिल्डिंग के नीचेसे उन्हें बुला रहा है | और वे अचानक घर से बाहर निकल पड़ते थे | यह देखकर संदिप घर को अंदर से लॉक भी करता था | लेकीन उस दिन वह लॉक लगाना भूल गया था | उसके पिताजी दो दिन बाद मिलें | उन्हें कुछ पता नहीं चल रहा था की वो कहाँ पर है | उनको विविध डॉक्टर , न्यूरोलॉजिस्ट , मानसोपचार तज्ञ को दिखाया गया | उनकी उचित जाँच और तपास करने के बाद उन्हें ‘डिमेन्शिया’ हो गया है यह बताया गया |

   आज हम ‘भुलने की बिमारी’ नामसे प्रसिद्ध इस डिमेन्शिया के बारें में जानेंगे | भारत और होलीवूड में डिमेन्शिया पर कई ‘सिनेमा’ भी बने हुए है |

English movies on Dementia

  • Away From Her (2007) ...

  • Still Alice (2015) ...

  • The Savages (2007) ...

  • The Notebook (2004) ...

  • Iris: A Memoir of Iris Murdoch (2001) ...

  • Still Mine (2012) ...

  • The Iron Lady (2011) ...

  • Emmerdale (2017)

Indian  movies on Dementia:

  • Black (Hindi). 

  • House Owner (Tamil).

  •  Mango Dreams (English).

  •  Miss India (Telugu). 

  • Listen…Amaya(Hindi). 

  • O Kadhal Kanmani (Tamil). 

  • 102 Not Out(Hindi).

  •  U, Me aur Hum (Hindi). 

  • Uri, the Surgical Strike(Hindi and other languages) . 

  • Uunchai (Hindi).


Read more at Dementia Care Notes: Page title: 'Indian movies depicting dementia', Link:


डिमेन्शिया पर विस्तृत जानकारी देनेका यह प्रयास है |

प्र. डिमेन्शिया क्या होता है ?

उ. डिमेन्शिया लक्षणों का समुह है | यह एक बड़ा शब्द है जिसमें अलग अलग बीमारियां जिनके लक्षण थोड़े एक जैसे है | जैसे ‘दिल की बिमारी’ याने ‘हार्ट डिसीज’ ये एक बड़ा नाम है , जिसके अंदर ह्रदय कि विविध बीमारियाँ आती है | वैसे ही डिमेन्शिया के अंदर मस्तिष्क कि कुछ बीमारियाँ आती है जिनके लक्षण – भूल जाना , कार्य करने में उलझ जाना , भास् होना , प्लानिंग करना मुश्किल हो जाना इत्यादी होते है | डिमेन्शिया में ज्यादा तर मरिज अल्झायमर डिमेन्शिया के पाये जाते है | इस लेख में हम  इस अल्झायमर डिमेन्शिया के बारें में विस्तार से संवाद करेंगे | अल्झायमर के अलावा वास्कूलर (रक्तवाहिनी संबंधित मस्तिष्क कि बिमारी) , लेव्ही बॉडी डिमेन्शिया , फ्रोंटो टेम्पोरल डिमेन्शिया ऐसी अन्य बीमारियाँ भी ‘डिमेन्शिया’ शब्द के अंदर आती है |

प्र. डिमेन्शिया कितना कॉमन (Common) है ?

उ. एक स्टडी के अनुसार 8.8 million (88 लाख) (link – Onlinelibrary – Wiley) लोग जिनकी उम्र ६० साल से ऊपर की है वे भारत में ‘डिमेन्शिया’ से बाधित है | इतना कॉमन होने के बावजूद इस बिमारी के बारे में लोगों में जानकारी न होने के वजह से उनकी बराबर से देखभाल, ट्रीटमेंट नहीं हो पाती | इस लिए यह लेख पढने के बाद अपने प्रिय जनों को जरुर इस बिमारी के बारें में जानकारी दे | ज्ञान बाटें |

प्र.    अल्झायमर डिमेन्शिया किसे हो सकता है?

उ.    अल्झायमर डिमेन्शिया ६० साल के उम्र के उपर के कुछ एक लोगों में होता है | लेकिन कभी कभी ३० साल के उम्र तक की कम उम्र में भी यह शुरू हो सकता है | कम उम्र में यह बिमारी (rare) कम लोगों में देखा जाता है |

   अनुवांशिकता, याने माता पिता से बच्चों में यह बिमारी उतरने की संभावना होती है | लेकिन यह बिमारी १००% अनुवांशिक नहीं है | इसका मतलब, माता पिता में है तो बच्चों में यह बिमारी आएगी ही ऐसा नहीं कहा जा सकता |

Dementia forgetfulness





प्र.    हमें चिजें रखकर भूलने की आदत है | हम लोगों के नाम याद नहीं रख पाते | एक काम  करते दुसरा  काम भूल जाते है | क्या हमें ‘डिमेन्शिया’ हो गया है?

उ. ज्यादातर बार हम तनाव में रहते है तब घटनाओ को बराबर, पुरे फोकस के साथ देखते नहीं | इसलिए उसे हमारा मस्तिष्क बराबर से रेजिस्टर नहीं कर पाता | अतः वह जानकारी दिमाग से निकल जाती है | यह डिमेन्शिया न होते हुए, तनाव, डिप्रेशन (उदासीनता), घबराहट अति चिंता के वजह से भी हो सकता है | इसलिए आपको अपने नजदिकी मानसोपचार तज्ञ के पास जाकर अपनी जाँच करवानी चाहिए | यह जरुरी नहीं की हर भूलने की तकलिफ का कारण ‘डिमेन्शिया’ ही हो | लेकिन जाँच करा लेना फायदेमंद होता है|

प्र.    अल्झायमर डिमेन्शिया होने का क्या कारण हो सकता है?

उ.    अल्झायमर डिमेन्शिया क्यों होता है यह अभी तक पता नहीं चला है | लेकिन अलग अलग मत  स्थापित किये जा चुके है | यह पता चल चूका है की इस बिमारी में अनुवांशिकता, हमारे जीवन जीने का तरीका (LIFE STYLE DISORDER), खान पान के तरीके, मोटापा, डायबिटीज (मधुमेह), रक्तचाप (HIGH BP) इत्यादी बीमारियाँ इन सबका हाथ है | इन सभी के मिले जुले असर से किसी व्यक्ति में यह बिमारी प्रकट होती है | स्पष्ट होकर सामने आने लगती है|

प्र. ‘अल्झायमर डिमेन्शिया ‘ में मस्तिष्क में क्या बदल होते है?

उ.    यह सिटी स्कैन, पेट स्कैन तथा अन्य अत्याधुनिक वैज्ञानिक रिसर्च (संशोधन) में देखा गया है की यह बिमारी मस्तिष्क के कुछ पेशियों पर काम करती  है | पेशियों के अंदर कुछ ‘प्रोटीन प्लाक’ नाम की गुठलियाँ अपने आप बनने लगती है | और इस वजह से वह पेशी नष्ट होने लगती है | मस्तिष्क में पेशियों (CEREBRAL CELLS) कम होते जाने से मस्तिष्क सिकुड़ने लगता है जिसे सेरेब्रल अट्रोफि (CEREBRAL ATROPHY) कहते है |मस्तिष्क का सिकुड़ना और छोटा होना वैसे ही है, जैसे किसी फल को , सफरचंद को हम खुली हवा में रखते है तो वह सिकुड़कर छोटा हो जाता है | लेकिन इस बिमारी पेशियों के कम होने से वह सिकुड़ने लगता है | 

यह सिकुड़ना (CEREBRAL ATROPHY) हमें सी.टी. स्केन पर दिखाई दे सकती है|

प्र. ‘अल्झायमर  डिमेन्शिया’ के लक्षण क्या होते है?

ऊ. ‘अल्झायमर डिमेन्शिया’ के सर्वसाधारण लक्षण :    (DSM LINK)

१. ध्यान भटक जाना |

बात करते करते अलग अलग बात पर पहुँच  जाना |

२. प्लानिंग करना मुश्किल हो जाना |

एक काम करने के बाद दूसरा क्या काम कर सकते है ये प्लानिंग नहीं कर पाते | हर एक निवाला खा कर रुक जाना | खाना खाने के बाद क्या करना है यह प्लानिंग न कर पाना|
३. नयी बाते समझना और सीखना बड़ा मुश्किल होता है |

उन्हें थोड़ी देर पहले बताई हुई बात दो मिनिट के बाद याद नहीं रहती |  पुरानि बातें याद आती है लेकिन नयी बात याद नहीं रहती है | नहाने के बाद फिरसे ‘नहाने के लिए पानी दो’ ऐसे बार बार माँगना , ये इसी भूलने के वजह से होता है |

४. बोलते वक्त शब्दों का चुनाव  करना मुश्किल हो जाना |

लोगों के या चीजों के नाम भूल जाना | व्याकरण का वाक्यों में बराबर से इस्तेमाल न करना | एक भाषा से दूसरी भाषा में बदलते रहना | इसलिए डिमेन्शिया के मरीज क्या बताना चाह रहे है यह समझना मुश्किल हो जाता है |
५. SOCIAL JUDGEMENT सामाजिक समज, मतलब समाज में जिने के तौर तरीके भुल जाना | अचानक से जो बर्ताव समाज में योग्य नहीं है ऐसा बर्ताव करना | सारे लोग इंतजार के कतार में बैठे है तो अचानक खड़े हो जाना | किसी इन्सान को एकटक ताकते रहना | अचानक कपडे निकाल देना | अनजान व्यक्ति से अचानक ऐसे बात करना जैसे पुरानी पहचान हो |

६. HALLUCINATIONS भास् होना |

७. DISORIENTATION AND CONFUSION : वक्त और समय भुल जाना :

८. FORGETFULNESS : PERSON & PLACE  नाम और जगह भूल जाना

९. FORGETFULNESS REGARDING INFORMATION :

“डिमेन्शिया में व्यक्ति का संवाद, सुसंगतता (COMMUNICATION CO-ORDINATION) टूटने लगता है | वह अपनी मन की या शरीर की (जैसे भूख लगना , पेशाब आई है यह बताना ) बात समझ नहीं पाते और बोल नहीं पाते | उनका खुदके साथ और समाज वातावरण (ENVIRONMENT) के साथ का संवाद कम होने लगता है |

वह आजूबाजू में होने वाले गतिविधियों से अपने आप को CONNECT जोड़ नहीं पाते | उन्हें  दिन , महीने , साल कुछ पता नहीं चलता | कभी कभी वह यह भी भूल जाते है के वे कहाँ पर है | उन्हें लगता है की वे किसी पुरानी जगह पे है और पुराना वक्त ही चल रहा है | वे पुराने लोग अभी भी आजूबाजू में है ऐसा उस वक्त समझते है |

कभी कभी मरीज घर पर होने के बावजूद “मुझे घर जाना है” ऐसी जिद्द करते है | अचानक घर से बाहर निकल जाते है |

   सामाजिक बर्ताव में ऐसे बदल मरीज को और मुश्किल में डाल सकते है |

  अल्झायमर डिमेन्शिया में कुछ लोगों को भास् होने लगता है | उन्हें लगता है कि सामने कोई बैठा है | वे कभी परछाई को इन्सान समझ कर उससे बात करने लगते है | कभी उन्हें लगता है पंखे पर कोई बैठा है | अभी ऐसा भास् होता है कि बाहर से उन्हें पुकार रहा है | वे आवाज सुनकर बाहर निकलने की कोशिश करते है |

   कुछ मरीजों में रात में इस बिमारी के लक्षण ज्यादा दिखते है | अचानक रात में नींद से उठ जाना | सुबह हो गई है ऐसे मानकर चाय बनाना | बर्तन धोना | घर के और लोगों को उठाना | कई बार ‘वक्त रात का है’ बताने के बावजूद न मानना | रात में प्रकाश की कमी होने के कारण लक्षण ज्यादा होते है ऐसे माना जाता है |

   कभी कभी घर से बाहर टहलने के लिए निकलते है लेकिन अपने घर वापस कैसे पहुंचे यह रास्ता ही भूल जाते है | कभी लोगों का चेहरा या नाम पहचान नहीं सकते | एक क्यक्ति को वह कोई और ही है ऐसा मानते है |

   जैसे कोई घटना बता रहे है तो अचानक से उस घटना के बीच का कोई भाग उन्हें याद नहीं आता | तब वे उस भाग को किसी मनघडन कहानी से भर देते है |

प्र.    अगर ‘अल्झायमर डिमेन्शिया’ भुलने की बिमारी है, तो मरीज को पुरानी यादें कैसे याद रहती है ? हमें कभी कभी लगता है कि वे नाटक कर रहे है |

उ.   ‘अल्झायमर डिमेन्शिया’ मस्तिष्क के पेशियों को हानी पहुंचाता है | मस्तिष्क की विविध पेशियाँ छोटी, नजदिकी याददाश्त Short Term Memory  और पुरानी Long Term Memory याददाश्त को संभालती है | इस बिमारी में व्यक्ति की Short Term Memory नजदिकी याददाश्त वाली पेशियाँ पहले नष्ट होने लगती है | इसलिए उन्हें नजदिक के वक्त में क्या हुआ याद नहीं रहता | लेकीन पुरानी यादें संभालने वाली पेशियाँ शुरवात की स्टेज स्तिथि में नष्ट नहीं होती | वे जब बिमारी बढ़ जाती है तब नष्ट होने लगती है | इसलिए उन्हें पुरानी बातें याद रहती है | और नई बातें भूल जाते है | और इसी वजह से कभी कभी उन्हें लगता है की वे पुराने वक्त में ही जी रहें है |

प्र.  ‘अल्झायमर डिमेन्शिया’ का व्यक्ति सहकार्य क्यों नहीं करता ? उसके वजह से रिश्तेदारों (Care giver’s Depression) को क्या परेशानी होती है ?

उ. ‘अल्झायमर डिमेन्शिया’ से ग्रथीत व्यक्ति यह समज नहीं पाता की वो भूल रहा है | उसे लगता है की सबकुछ बराबर चल रहा है | उसको अपने खुदके अंदर होने वाले बर्ताव में बदल का अहसास नहीं होता | LACK OF INSIGHT. इसलिए उस व्यक्ति को समझता ही नहीं की वो भूल रहा है | उसने एक ही सवाल रिश्तेदार को दस बार पहले से पूछा हुआ है | उस व्यक्ति के लिए हर सवाल नया है | क्योंकि पुराना सवाल वो भूल चूका है|

असली परेशानी उसे सभांलने वाले घर के लोगो को होती है | देर रात अचानक उठना | दिन में घर से बहार निकलने की कोशिश करना | इन सभी मरीज के बर्तावों की वजह से घर के लोग काफी हद तक परेशान हो जाते है | उन्हें दुसरे दिन अपना खुदका रोजका काम भी तो करना होता है | ऑफिस जाना होता है | इसलिए बिमारी का निदान और उसकी देखभाल TREATMENT करना जरुरी हो जाता है |

प्र. ‘अल्झायमर’ डिमेन्शिया’ क्या ठीक हो सकता है ? (PROGNOSIS OF DEMENTIA)

ऊ. यह एक ऐसी बिमारी है जिसमे मस्तिष्क के पेशी अपने आप धीरे धीरे नष्ट होते जा रहे है |कुछ प्रोटीन पेशियों में जमा होकर वह पेशी नष्ट हो रही | ये प्रक्रिया बढती जाने वाली प्रक्रिया है | वैद्कीय विज्ञान नें इस प्रक्रिया की गती कम करने वाली दवाईयाँ ढूंड निकाली है | लेकिन उसे रोकने वाली  दवाई अभी तक सामने नहीं आई है | रिसर्च संशोधन चल रहा है | 

प्र. तो क्या ‘अल्झायमर’ डिमेन्शिया’ बढ़ते ही जाएगा ?

उ. हां. ज्यादातर केसेस में , धीरे धीरे ये बिमारी बढ़ते जाती है | लेकीन दवाइयां इस बिमारी को बढ़ने की गती को कम कर देती है |

प्र. दवाईयां क्या मदत कर सकती है ‘अल्झायमर’ डिमेन्शिया’ में ?

उ. दवाईयां बिमारी की गति को कम करती है और महत्वपूर्ण बात ये है की दवाईयां मरीज के बर्ताव में बदल कर सकती है | मरीज के घुस्से और अचानक से जिद्द करने वाले बर्ताव को कम कर सकती है | दवाईयां ‘भास्’ hallucinations कम करने के लिए काफी मदत करती है |

प्र. दवाईयां के अलावा हम मरीज को कैसे मदत कर सकते है ?

उ. मरीज के साथ सभी लोग थोडा थोडा बातचीत करकें उसका मन हलका कर सकते है | उसे सुबह शाम चलने के लिए (Walking) ले कर जाने से उस मरीज के स्नायू और सांधे (Muscles & Joints) अच्छे रहते है | मरीज के खोली में ज्यादा से ज्यादा सूर्यप्रकाश आए ऐसे व्यवस्था करनी चाहिए | केलेंडर और घडी की मदत से उसे वक्त के बारे में समझाते रहना चाहिए | सबसे महत्तवपूर्ण बात; उसके खाने पिने में Balanced Diet संतुलित आहार दें | उनका वजन नियमित रूप से जाँचते रहें | बाकी बिमारियों की दवाई भी वक्त से दें | ध्यान या प्राणायाम अगर हो सके तो जरुर करवाए लेकीन जबरदस्ती ना करें |

प्र. घरमें किसी को ‘अल्झायमर’ है तो क्या हमें भी वो हो सकता है ? क्या खबरदारी लें ? Prevention of Dementia.

उ. अगर घरमें किसी को ‘डिमेन्शिया’ है तो ये जरुरी नहीं की आपको भी होने ही वाला है | अनुवांशिक रूप से अगली पिढी में उतरने की थोड़ी संभावना है | लेकीन इस वजह से तणाव में नहीं जिना चाहिए | अगर हम हमारी Lifestyle जीवन जीने का तरीका अच्छा निरोगी रखेंगे तो यह संभावना भी कम हो सकती है |

नियमीत रूप से व्यायाम करना | अपने वजन को नियंत्रित रखना | बाहर के पदार्थ जिनमें कार्बोहायड्रेट पिष्ठमय पदार्थ ज्यादा है (उदा. बटाटा वडा, वेफर्स, चोकलेट्स, पिझ्झा, पाव इत्यादी) कम खाना | और जो शरीर को ताकद देने वालो पदार्थ (हरी सब्जी, फल, मोड़ आए हुए कडधान्य, ई.) प्रोटीनयुक्त नैसर्गिक पदार्थ ज्यादा खाना जरुरी है |

Gadgets गेजेट्स मतलब मोबाइल, टिव्ही, कंप्यूटर इनका इस्तेमाल जितना काम के लिए जरुरी है उतना ही रखना |

घंटो स्क्रीनके आगे बैठे रहने से शरीर में स्थूलता, मस्तिष्क में तणाव बढ़ता है वजन बढ़ता है | स्ट्रेस हार्मोन्स शरीर को नुकसान पहुंचाते है |

अगर हम इस तरह अपने सेहत का ख़याल रखें तो हम अपने आप को ‘डिमेन्शिया’ जैसी बिमारी से दूर रह सकते है |

अगर भूलने के बिमारी के लक्षण आप में दिखें तो जरुर नजदिकी डॉक्टर को मिलें | मानसोपचार तज्ञ और न्यूरोलोजिस्ट को मिलिए | तपास और जाँच नियमित रूप से करवाते रहिए |

            Abstract (सारांश): अलझायमर डिमेन्शिया एक ऐसी बिमारी है जिसमे मस्तिष्क की पेशियाँ कम होने लगती है | भूलना, भास होना, अजीब बर्ताव ऐसे लक्षण दिखते है | वैदकिय जाँच और वक्त पर दवाईयां करने से  व्यक्ति के लक्षणों में काफी  हद तक कमी हो सकती है और बिमारी की बढ़ने की गती कम हो सकती है |

     इस आर्टिकल के लेखक डॉ . निशिकांत विभुते कांदिवली (प .) मुंबई में  प्रेक्टिस करते है | अपॉइंटमेंट लेने के लिए 9919550650 इस नंबर पर फोन करीए |




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