DEMENTIA , MEMORY LOSS DISORDER, CAREGIVER'S GUIDE IN HINDI . डिमेन्शिया , भुलने की बिमारी , कैसे बर्ताव करें , विस्तृत जानकारी



डिमेन्शिया / बुढ़ापे में भूलने की बिमारी :---
१.   व्यक्ति पृष्ठभूमि परिचय तथा जीवन समीक्षा
डिमेन्शिया से व्यक्ति की दीर्घकालीन एवं लघुकालीन दोनों प्रकार की स्मरणशक्ति ही प्रवावित होती है अत: डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति की देखभाल करने वाला परिवार का व्यक्ति उसकी व्यक्तिगत स्मृतियों को एक सुव्यवस्थित तरीके से एकत्रित करके तथा जानकारी के आंकड़ों को जुटा कर उल्लेखनीय मदद कर सकता है |
परिवार का देखभालकर्ता ऐसे व्यक्ति को जानकारी को खोजने, फोटो तथा अन्य संबंधित वस्तुओं को ढूढ़ने आदि में मदद कर सकता है | ऐसी चीजें अगर भिन्न – भिन्न घटनाओं तथा भिन्न – भिन्न समय अवधियों का प्रतिनिधित्व करे, तो अच्छा होगा |
चीजें एकत्र करना शुरु करने से पहले व्यक्ति को इसके उद्देश्य तथा प्रकिया के बारे में बताया जाना चाहिए | इससे उनके द्वारा दिए जाने वाले सहयोग में वृद्धि होगी |
१.    फोटो अल्बम ( पारिवारिक तथा व्यक्तिगत )
२.    स्कूल के रिकार्ड्रर्स / जन्म सर्टिफिकेट्स / व्यक्ति का आइडेन्टिटी कार्ड
३.    मेडल तथा पुरस्कार
४.    नौकरी का आइडेन्टिटी कार्ड / सेलरी स्लिप
५.    अन्य संबंधित जानकारियां जैसे कि पेपर क्लिपिंग्स
६.    एक नया अल्बम, नोटबुक या फोल्डर भी इस्तेमाल किया जा सकता है, मगर लिखने के लिए जगह ज़रूर छोड़ें
संदर्भ हेतु एक उदाहरण नीचे दिया गया है :
क.जन्मस्थान तथा जन्म तिथि से शुरुआत करें ( कुछ वर्गों के लिए लूनर कैलेन्डर के अनुसार तिथियां आधिक उपयुक्त होंगी )
ख.                        व्यक्ति द्वारा बताए गये अनुसार वंश वृक्ष तैयार करें |
ग.  व्यक्ति का जहां जन्म हुआ था, उस गांव, नगर या शहर तथा उस अस्पताल या स्थान के फोटो को भी शामिल करें |
घ.   स्कूली शिक्षा व्यक्ति के लिए एक रोचक विषय हो सकता है क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन का एक महत्त्वपूर्ण भाग है. उसके द्वारा जीते गये मेडल या पुरस्कारों का रिकॉर्ड नोट किया जाना चाहिए |
ङ.   नौकरी / काम काज का लेखाजोखा – पहली नौकरी, पहली तनख्वाह की रकम, काम की प्रकृति, पदनाम, नौकरियां बदलने की स्थिति को रिकॉर्ड करें |
च.   शादी – विवाह – शादी के फोटो ( हनीमून के दौरान लिए गये फोटो सहित ) उस दौरान की मीठी यादों को तरोताज़ा कर सकते हैं |
छ.   सैर – सपाटों के फोटो – कुछ यादगार छुट्टीयों, सैर सपाटों के फोटो चुनें तथा देश का नाम, वहां भ्रमणं करने की तारीख, उद्देश्य का उनके सम्पर्क नंबरों के साथ उल्लेख करें |
ज.   मित्रों के फोटो – पुराने फोटो व्यक्ति को पुराने दोस्तों के साथ बिताए वक्त की सुखद यादों को तरोताज़ा करते हैं. दोस्तों के नाम, उनसे पहली मुलाकात, वह अब कहां है तथा उनके सम्पर्क नंबरों का उल्लेख व्यक्ति के लिए उपयोग होगा |
झ.   रिश्तेदारों के फोटो – अपने सगे – संबंधियों के अलग - अलग समय के फोटो यह याद दिलाएगें कि इन वर्षो के दौरान उनकी शक्लों में कैसा परिवर्तन आए हैं |
ञ.    कोई रोचक घटना / कहानी जिसे दोहराना तथा दर्ज करना उपयोगी हो |
२.   दिनचर्या का आकलन :
दिनचर्या की गतिविधियों में नहाना धोना, नित्यकर्मो से निवृत होना तथा चलना – फिरना आदि शामिल है | व्यक्तिगत साफ – स्वच्छता को बनाए रखने तथा दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए ये सब आवश्यक हैं | बीमारी के माध्यम या अग्रिम अवस्था की ओर बढ़ने के साथ – साथ डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति की बौद्धिक घटते हुए ऐसे स्तर पर आ सकती है कि व्यक्ति को अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए मदद की आवश्यकता पड़े |
प्राथमिक अवस्था : प्रारंभिक अवस्था के दौरान व्यक्ति को अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता एवं आरोग्य के लिए खुद पर निर्भर रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए | परिवार के देखभालकर्ता की ओर से केवल बातें याद जानी चाहिए या राह दिखायी जानी चाहिए ( जैसे कि टूथपेस्ट को दबाकर पेस्ट निकलना, बताना की चीजें कहां राखी हैं या उनको नहाने के लिए तैयार करना अथवा साफ – सुथरे कपड़े देना ) |
उपयुक्त स्थान पर रंगीन तस्वीरों के साथ कार्य – प्रकिया के चार्ट अक्सर उनके लिए उपयोगी साबित होते हैं. जैसे कि : दांत ब्रश करने या शेविंग करने में चरण |
परिवार के देखभालकर्ताओं को चाहिए कि व्यक्ति को अपने आप दांत ब्रश करने तथा हाथ – मुहं धोने के लिए प्रोत्साहित करे | अपने आप शेविंग करने के लिए मैनुअल रेजर के बजाए इलेक्ट्रीक रेजर का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करें | परिवार के देखभालकर्ता देखेंगे कि वक्त के साथ – साथ डिमेन्शिया के मध्यम या अग्रिम अवस्था में पहुंचने पर व्यक्ति संभवतः अपने आसान से कामों को भी जैसे कि दांत ब्रश करना या शेविंग करना खुद न कर पाए |
क्या कपड़े पहने जाएं ? इस सवाल पर परिवार के देखभालकर्ताओं को व्यक्ति को बहुत ज्यादा विकल्प नहीं देने चाहिए | उन्हें चाहिए कि व्यक्ति के सामने पालन करने के लिए एक आसान सी प्रकिया रखें | जैसे कि अलमारी से दो जोड़ी कपड़े निकालकर बिस्तर पर रखें तथा व्यक्ति को उनमें से एक को चुनने को कहें | कपड़ा चुनने से पहले व्यक्ति को मौसम के बारे में समझाने से अनावश्यक बहस से बचा जा सकता है |
मध्यम अवस्था : इस अवस्था में पहुंचने पर व्यक्ति को अपनी रोजमर्रा की जरुरतों को पूरा करने के लिए आधिक मदद की जरुरत पड़ती है | इसलिए परिवार के देखभालकर्ताओं को व्यक्ति के कार्यों की शुरुआत की तैयारी करनी चहिए तथा अंत के कुछ चरणों को उसके लिए छोड़ देना चाहिए | एक और अच्छा तरीका हो सकता है कार्यों को साथ – साथ करते हुए उसे कदम दर कदम उन्हें करने का तरीका बताते जाना |
अग्रिम अवस्था : बीमारी की इस अंतिम अवस्था तक पहुंचते – पहुंचते वह समय, स्थान तथा व्यक्ति से पूरी तरह से ध्यान केन्द्रण खो देता है | एसे में परिवार के देखभालकर्ता को उसकी सम्पूर्ण व्यक्तिगत देखरेख यानी साफ – सफाई, खिलाना – पिलाना तथा नित्य कर्मो से निवृत्त करने का जिम्मा लेना पड़ता है | अतः उसकी देखभाल के लिए देखभालकर्ता को और ज्यादा समय देना पड़ता है |
पीड़ित बुजुर्गो के साथ देखभाल प्रक्रीया के दौरान बेहतर संबंध स्थापित करने के लिए नीचे कुछ सुझाव दिए गये हैं |
ऐसा करें :
स्पष्ट करें कि आप क्या करने जा रहे हैं तथा पूछें कि क्या आप इसके लिए सहमत हैं. उसके सिर हिलाने का मतलब है कि व्यक्ति बात को समझ रहा है तथा इसके लिए सहमत है |
उसे अपना काम पूरा करने के लिए पर्याप्त समय दें, खासतौर से सुबह या शाम के समय |
काम को इस तरह शुरू करें कि वह उसका पालन कर सके |
उसे स्पष्ट तथा विनम्र आवाज में समझाएं कि प्रक्रीया के दौरान आप क्या करने जा रहे हैं |
उसे अपना काम करते देखते समय चेहरे पर मुस्कान बनाए रखें |
उसे अपना काम पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करें तथा शाबासी दें |
ऐसा न करें :
अगर पर्याप्त समय न हो तो इसे न करें |
डिमेन्शिया वाले व्यक्ति को आसान से निर्देश या स्पष्टीकरण दिए बिना सिर्फ काम का नाम न बताएं |
व्यक्ति को काम के साथ काफी देर के लिए अकेला न छोड़े क्योंकि उसे देखनेवाला या नजर रखने वाला कोई नहीं होगा तो वह काम करना बंद कर देगा | इसलिए थोड़ी – थोड़ी देर बाद उसके पास जाकर काम की प्रगति का जायजा लें |
नकारात्मक  टिप्पणियां न करें या गुस्सा न दिखाएं क्योंकि व्यक्ति शाब्दिक तथा इशारों से व्यक्त की गई झल्लाहट को समझ सकता है |
अगर व्यक्ति काम को गड़बड़ कर देता है या पूरा नहीं कर पाता है तो चिल्लाए या बौखलाएं नहीं |
अ.  दवाईयां लेना :
दवाईयों का एक ऐसा बड़ा डिब्बा रखने की सलाह दी जाती है जिसमें छोटे – छोटे डिब्बों में सप्ताह के 7 दिनों ( सोमवार से रविवार ) की दवाईयां अलग – अलग करके रखी गई हो, तथा यह डिब्बों पर अंकित हो | प्रत्येक छोटे डिब्बे में खाने होने चाहिए, जिसमें यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि उस दिन किस समय दवा लेनी है| किसी दिन विशेष की विशेष की दवाईयों को ( जैसे कि मंगलवार के लिए ) उस दिन के लेबल अंकित ( मंगल ) डिब्बे में रखी जानी है | इतना ही नहीं, दवाईयों को उचित खाने में भी रखा जाना है, जिसमें दवा को लेने के समय का उल्लेख किया गया हो | इससे साप्ताहिक आधार पर दवा लेने का कार्यक्रम बनाने तथा प्रत्येक दिन की जानेवाली दवा को छोटे डिब्बे से निकलने में मदद मिलेगी | छोटे बॉक्स को मेज पर रखें ताकि डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति उसे देख सके तथा अपनी दवाईयां ले सके | परिवार के देखभालकर्ता को प्रतिदिन औषधि के डिब्बे की जाचं करनी चाहिए ताकि पता चल सके कि डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति ने अपनी दवाईयां ली है |
सात दिनों का औषधियों का डब्बा - | डिमेन्शिया वाले उन बुजुर्गों के लिए उपयोगी है जिन्हें दिन में कई बार औषधियाँ लेनी होती है |
·       औषधि के डिब्बे पर डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति का नाम लिखा जाए |
·       दवाईयों की सूची तथा उनके उपयोग लिखें |
·       प्रत्येक दिन हेतु औषधि के डिब्बे पर स्पष्ट लेबल लगाएं (औषधि लेने के दिन व समय के साथ) |
·       बुजुर्ग व्यक्ति लेबल के अनुसार ढक्कन को खोलकर आसानी से दवा ले सकते है |
·       डिब्बे पर डिमेन्शिया से पीड़ित बुजुर्ग व्यक्ति तथा उनकी औषधियों का नाम लिखें |
ब. खरीदारी :
·       डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति को उसकी बीमारी के कारण खरीदारी करने से नहीं रोका जाना चाहिए, मगर उसके साथ किसी का होना जरुरी है | ऐसे लोगों के लिए बाहर खरीदारी के बहाने समाज के साथ नियमित रूप से सम्पर्क बनाए रखने तथा वास्तविकता से जुड़े रहने की आवश्यकता होती है | अतः परिवार के देखभालकर्ता को चाहिए कि डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति के खरीदारी के लिए जाने से पहले उसकी खरीदारी की सूची बनाने में मदद करे |
·       खरीदारी की सूची छोटी तथा आसन होनी चाहिए क्योंकि डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति को अपने साथ बहुत ज्यादा पैसा नहीं रखना चाहिए | क्योंकि उनसे पर्स खो सकता है या वे खरीदारी के बाद बाकी पैसा लेने में भूल – चूक कर सकते हैं |
·       व्यक्ति को छोटा नोट या ठीक – ठीक रकम लेकर खरीदारी के लिए जाने दें |
·       घर से निकलने से पहले, परिवार के देखभालकर्ता को खरीदारी की सूची व्यक्ति को दोहराकर बताना बेहतर होगा |
·       किसी जानी – पहचानी दुकान में जाना चाहिए जहां दुकान का मालिक या मैनेजर व्यक्ति को नाम से जनता हो |
-          ऐसे में, सबसे पहली बात व्यक्ति के साथ सही व्यवहार किया जाएगा |
-         दूसरी बात, दुकान का मालिक या मैनेजर उसे खरीदारी हेतु पर्याप्त समय देगा |
-         तीसरी बात, डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति को परिचित माहौल, दुकान मालिक या मैनेजर का साथ मिलेगा |
-         और आखिरी बात, दुकान मालिक या मैनेजर व्यक्ति को ठगेगा नहीं तथा सही छुट्टे पैसे लौटाएगा |
·       व्यक्ति के घर लौटने पर, परिवार के देखभालकर्ता को चीजों पर एक नजर डाल लेनी चाहिए ताकि इत्मीनान हो सके कि खरीदारी ठीक से हुई है | अगर व्यक्ति कुछ भूल गया हो या कोई गलत चीज ले आया हो तो परिवार के देखभालकर्ता को कोई तीखी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए | सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि व्यक्ति ने खरीदारी की सैर पूरी की है और वह चीजों के साथ सुरक्षित रूप में घर लौटा है |
·       गल्तियां गिनाने के बदले सही चीजों को गिनना उचित होगा, इससे अनावश्यक विवाद नहीं पैदा होगा और व्यक्ति फिर सें खरीदारी के लिए जाने को उत्सुक रहेगा |
·       अगर खरीदारी का यह अनुभव अच्छा नहीं रहता है तो व्यक्ति दोबारा खरीदारी के लिए नहीं जाना चाहेगा तथा परिवार के देखभालकर्ता भविष्य में उसे संभवतः खरीदारी के लिए नहीं भेज पाएंगे, इससे डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति का खरीदारी कौशल समाप्त हो जाएगा तथा उसका बाहरी दुनिया से भी सम्पर्क कट जाएगा | इसके फलस्वरूप उसकी परिवार के देखभालकर्ता पर निर्भरता और बढ़ेगी देखभालकर्ता तथा पर भार और बढ़ेगा |
स. टेलिफ़ोन का इस्तेमाल :
टेलीफोन नंबर डायल करने का ज्ञान खो देने से डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति के लिए खतरा और बढ़ जाता है, क्योंकि वह जरूरत पड़ने पर मदद के लिए सम्पर्क नहीं कर पाता है और अगर वह अकेला रहता है तो सारी दुनिया से उसका सम्पर्क कट जाएगा | ऐसे में बड़े बटनों वाला बड़ा टेलिफ़ोन खरीदना उपयोगी साबित होगा | इसके साथ, एक कागज पर महत्वपूर्ण लोगों के नाम की सूची उनके टेलिफ़ोन नंबरों के साथ लिख कर राखी जानी चहिए | इसमें जीवनसाथी, बच्चे या नजदीकी मित्र हो सकते हैं |
डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्तियों को मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल करना सिखाना आसान नहीं है क्योंकि एक तो मोबाइल फ़ोन काआकर बहुत छोटा होता है, दुसरे इसके प्रिंट भी बहुत छोटे होते हैं जिन्हें पढ़ना मुश्किल होता है | फिर भी, परिवार के देखभालकर्ता को डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति को मोबाइल फ़ोन के इस्तेमाल करने का तरीका सिखाने की कोशिश करनी चाहिए ताकि वह जरूरत के वक्त वह मदद के लिए सम्पर्क कर सके |
सरल निर्देशों को चरणबद्ध रूप में चित्रों के जरिए लिखें | साथ ही उन्हें बताए कि इनका पालन कैसे करना है | मोबाइल फ़ोन के इस्तेमाल के लिए रोजाना का एक अभ्यास कार्यक्रम बनाएं | कई बार अभ्यास कराने के बाद डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति को अपने आप फ़ोन करने के लिए प्रोत्साहित करें | स्मरणशक्ति की कमी के कारण डिमेन्शिया से प्रभवित व्यक्ति संभवतः एक या दो सम्पर्क नंबरों को ही कॉल कर सके, इसलिए यह प्रशिक्षण इतने तक ही सीमित रखना चाहिए, अन्य महत्वपूर्ण नंबर ऊपर वर्णित सूची में लिख कर रखने चाहिए |
द. रूपये – पैसे का हिसाब – किताब :
डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति के लिए गणना करना एक मुश्किल काम होता है अत: रूपये – पैसे का हिसाब – किताब रखना एक चुनौतीभरा मामला होता है |
·       परिवार का देखभालकर्ता, डिमेन्शिया वाले व्यक्ति को कागजी नोट तथा सिक्के दिखा कर प्रत्येक का मूल्य बताने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है | अगर वह व्यक्ति केवल कुछ ही नोटों तथा सिक्कों को पहचान सकता है तो परिवार के देखभाल कर्ता को चाहिए कि उसे बहुत ज्यादा धन न दें | इस प्रकार के अभ्यास व आकलनों से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि व्यक्ति कितने धन का हिसाब किताब रख सकता है |
·       परिवार के देखभालकर्ता को घर में व्यक्ति के साथ यह अभ्यास बार – बार करते रहना चाहिए ताकि वह फिर से धन को पहचान सके |
·       डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति को प्रतिदिन कितना धन दिया गया इसका रिकॉर्ड रखने के लिए एक लाग बुक बनानी बेहतर होगी | अगर व्यक्ति सहमत हो तो उसे लाग बुक पर हस्ताक्षर करने को कहें | एक तरह से इससे प्रमाणित होगा कि उसे कितना धन दिया गया है | अगर व्यक्ति लिखित रिकॉर्ड के मतभेद व्यक्त करता है तो ऐसे विवाद से बचने के लिए आपसी सहमति से कोई रास्ता निकलना चाहिए |
·       उनसे यह पूछने की आदत बनाएं कि उसने दिए गये धन को किस प्रकार खर्च किया | उससे प्यार से पूछें कि उसने क्या – क्या खरीदा तथा प्रत्येक चीज की कीमत कितनी थी | इस तरीके से परिवार का देखभालकर्ता यह जान सकता है कि क्या व्यक्ति ने पैसे को ठीक से खर्च किया है या गंवा कर आया है |
ऐसा न करें ( परिवार के देखभालकर्ता को यह नहीं करना चाहिए ) :
·       अलग – अलग  नोटों व सिक्कों में बड़ी रकम देना |
·       बैंक पास बुक देना, क्योंकि यह आसानी से खो सकती है |
·       उसे पैसा निकालने के लिए बैंक भेजना |
·       पैसे का गलत खर्च करने या गंवाने पर डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति पर चिल्लाना या उसे दोषी ठहराना, क्योंकि इससे अनावश्यक बहस या झगड़े की नौबत पैदा होती है | डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति जब याद ही नहीं कर पाएंगे कि उन्होंने पैसा किस प्रकार गंवाया या खर्च किया है तो कैसे बता सकते हैं | वे इस बात से इन्कार भी कर सकते हैं कि उनके पास पैसा था | इसलिए परिवार के देखभालकर्ता के लिए तब सावधान रहना जरुरी है जब डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति पैसा लेकर घर से बाहर निकलता है |
·       यह मान कर चलना कि डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति अक्सर पैसा या पर्स खोएगा, क्योंकि यह एक आम बात है | यह मान लेने से एक अच्छे देखभालकर्ता को छोटी – छोटी रकम के खोए या गंवाए जाने पर गुस्सा नहीं आएगा |
ऐसा करें ( अन्य उपयोगी सुझाव )
·       रुपये – पैसे का हिसाब – किताब रखने की उसकी बौद्धिक क्षमता को पहचाने |
·       उस पर लगातार नजर रखना जरुरी है क्योंकि डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति की स्थिति की वक्त के साथ बिगड़ने की संभावना रहती है | व्यक्ति की रूपये – पैसों को संभालने की क्षमता के अनुसार धीरे – धीरे उसे दी जानेवाली रकम को घटाते जाएं |
·       भविष्य के लिए एक रूपये – पैसों के लिए एक कार्यक्रम बनाएं | अगर डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति के नाम पर अकाउन्ट, प्रॉपर्टी या अन्य सम्पत्तियां हैं तो कानूनी सलाह लेनी उचित होगी |
·       अगर वह रूपये – पैसों का हिसाब ठीक से रखता है तो उसकी प्रशंसा करें |
·       जब व्यक्ति खरीदारी को जाए तो उसके साथ जाएं और गौर करें कि वह बिलों का भुगतान किस प्रकार करता है |
·       उसके पास पैसा रखकर, भले ही वह छोटी रकम में हो, उसका आत्मसम्मान बनाने रखने में मदद करें |
३.   मनोवैज्ञानिक समर्थन :
डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति, रोग की प्रारंभिक अवस्था में, संज्ञानात्मक बाधकता का शिकार होने के बावजूद अक्सर अपनी कमियों से अनजान होता है | स्मरण शक्ति तथा अपनी देखभाल की क्षमता में धीरे – धीरे आने वाली कमियों का सामना करना वह धीरे – धीरे अपने तरीकों से सीख लेता है |
अ.  आत्मसम्मान :
ज्यादातर बुजुर्ग यह मान लेते हैं कि उम्र बढ़ने के कारण उनकी स्मरणशक्ति कमजोर पड़ गयी है | इसके कारण उनका आत्मसम्मान कम हो जाता है और वे समाज से अलग – थलग पड़ने लगते हैं | इसके अलावा व्यक्ति की संज्ञानात्मक बाधकता के बारे में क्लिनिक के प्रोफेशनल स्टाफ या उनके रिश्तेदारों / मित्रों के सामने टिप्पणियां भी प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं |
समर्थन तथा सहायता ऐसा करें :
·       यह बात याद रखें कि व्यक्ति न्यूरोलॉजिकल परिवर्तनों से गुजर रहा है तथा उससे सहानुभूति रखें | हमेशा ध्यान में रखें कि उसे पहले से आधिक सम्मान की आवश्यकता है |
·       यह मान कर चलें कि बीमारी की प्रकुति के कारण वह गल्तियां कर सकता है या कुछ चीजें भूल सकता है |
·       बाहा रोगी क्लिनिक में परिवार के सदस्य का डॉक्टर से अलग मुलाकात के लिए अनुरोध करना अतिउत्तम होगा, क्योंकि ऐसे में देखभालकर्ता द्वारा व्यक्ति की वास्तविक स्थिति का पूरा विवरण प्रस्तुत करने पर वह शर्मिन्दगी नहीं महसूस करेगा |
·       उन चीजों पर ध्यान केन्द्रित करें जो वह कर सकता हो |
·       परिवार के जिन सदस्यों या मित्रों को व्यक्ति की डिमेन्शिया के कारण याददाश्त के कमजोर पड़ने की जानकारी न हो, उन्हें अलग से इस बारे में बता दिया जाना चाहिए | या व्यक्ति की गैरमौजूदगी में परिवार का देखभालकर्ता अपने परिवार के अन्य सदस्यों, मित्रों, सगे – सबंधियों या अड़ोसी – पड़ोसियों को व्यक्ति की दशा के बारे में सूचित कर सकता है ताकि वे स्थिति से सही तरीके से निबट सकें |
·       व्यक्ति जब किसी काम को सफलतापूर्वक पूरा करे तो उसकी सराहना करें |
·       जब कोई काम गलत हो जाए तो उसे ढाढस बंधाएं |
·       यह स्वीकार करें कि वह स्तिथि का सामना सही तरीके से कर रहा है |
ऐसा न करें :
·       व्यक्ति की स्मरणशक्ति के कमजोर पड़ने के बारे में नकारात्मक टिप्पणियां करने या आलोचना करने से बचें |
·       स्वास्थ्य सुरक्षा प्रोफेशनल को जानकारी देते समय परिवार के सदस्य को व्यक्ति की केवल गल्तियों पर ही तीखी टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए |
·       आत्मसम्मान की कमी वाले व्यक्ति को दूसरों से भरोसे तथा गर्मजोशी भरे व्यवहार की अपेक्षा होती है | देखभालकर्ता व्यक्ति के ख्याल रखने के काम में परिवार के दुसरे सदस्यों या मित्रों / रिश्तेदारों को भी शामिल कर सकता है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग व्यक्ति की बीमारी और जरूरतों को समझ सकें | इस प्रकार, डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति को परिवार के अन्य सदस्यों / मित्रों या रिश्तेदारों से आधिक अपनापन और देखभाल मिल सकेगी |
ब. आत्मविश्वास :
आत्मसम्मान की ही तरह, डिमेन्शिया से पीड़ित कुछ लोग अपनी दिन प्रतिदिन की स्थितियों से निबटने में आत्मविश्वास खो देते हैं तथा बाहरी दुनिया का सामना करने में चुनौती महसूस करने लगते हैं | वे घर में ही रहना पसन्द करते हैं और चाहते हैं कि उनके परिवार के देखभालकर्ता उनके लिए निर्णय लें | डिमेन्शिया से पीड़ित ज्यादातर लोग, प्रारंभिक अवस्था में अपनी समस्याओं को कुछ हद तक समझते हैं और सलाह तथा मदद के लिए परिवार के देखभालकर्ताओं पर निर्भर रहना शुरू कर देते हैं |
समर्थन तथा सहयोग :
·       डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति को अपनी क्षमताओं के अनुसार अपने रोजमर्रा के कामों को करने को प्रोत्साहित करें |
·       घर में उसे दिए गये किसी काम को पूरा करने की क्षमता तथा परिवार के लोगों के बाहर जाने पर उसका अपना ख्याल / देखभाल रखने की क्षमता का आकलन करें |
·       व्यक्ति जब बाहर जाए तो उसके साथ अवश्य जाएं लेकिन उसे आगे चलने तथा सही दिशा में चलने व मंजिल तक पहुंचने के लिए उत्साहित करें |
·       व्यक्ति के साथ किसी निर्धारित पथ पर जाएं या अगर वह आसान मार्गचित्रों को समझ सकता हो तो मार्गचित्र बना कर दें ( जिसमें पहचानी जगहों तथा गलियों के नामों का उल्लेख हो ) |
·       व्यक्ति के बाहरी माहौल के साथ तालमेल और बाहरी तनावों को झेलने की क्षमता जैसे कि ट्रैफिक सिग्नालों पर सड़कों को पार करने समय तथा भीड़ में चलते समय, पर ध्यान दें |
·       जब व्यक्ति को किसी नई जगह पर जाना हो तो उसके साथ अवश्य जाएं ताकि वह खो जाने जैसी स्थिति न महसूस करें | इससे व्यक्ति के मन में नई – नई जगहों में भ्रमण के प्रति आत्मविश्वास रहेगा |
·       आत्मविश्वास की भावना को बनाए रखने या फिर से जगाने के लिए परिवार का निरन्तर सहयोग तथा समर्थन बहुत जरुरी है | जब वह बार – बार गल्तियां करता है या उसे समर्थन नहीं मिलता है तो उसका आत्मविश्वास डगमगाने लगता है | एक बार आत्मविश्वास खोने पर व्यक्ति कोशिश करने से ही बचने लगता है तथा प्रकिया के साथ तालमेल करने या उसे अपनाने से इन्कार कर देता है |
स. उत्तेजना पर काबू पाना :
डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति खासतौर से बीमारी की प्रारंभिक अवस्था में बेचैनी दिखा सकते हैं | उन्हें अपनी संज्ञात्मक बाधकता का बोध होता है मगर वे वक्त के साथ कमजोर पड़ती अपनी स्मरणशक्ति को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं | ऐसे में वे बेचैन हो उठते हैं तथा समझ नहीं पाते कि क्या करना चाहिए |
समर्थन तथा सहयोग :
·       अगर डिमेन्शिया से प्रभावित व्यक्ति इतना बेचैन हो उठता ही कि उसकी दिनचर्या प्रभावित होने लगे तो परिवार के देखभालकर्ता को प्रोफेशनल मदद लेनी चाहिए | बेचैनी की स्थिति व्यक्ति के विचारों, भावनाओं तथा स्थिति से निपटने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकती है | इससे देखभाल करनेवाले व्यक्ति पर भार काफी बढ़ जाता है तथा पीड़ित व्यक्ति के लिए भी कष्टकारी होता है |
·       बेचैनी को बढ़ाने वाले घटकों का पता लगाना एक मुश्किल काम हो सकता है, लेकिन अगर इसको पहचाना व इससे बचा जा सकता है तो व्यक्ति तथा देखभालकर्ता दोनों को ही फायदा पंहुचता है | बेचैन या उत्तेजित व्यक्ति अपने परिवार के सदस्यों से समर्थन तथा आश्वासन चाहता है | ऐसे में किसी का बस उसके साथ बातें करना या उसकी भावनाओं को सुनने – समझने की कोशिश करना उसकी  बेचैनी को शांत करने में काफी मददगार हो सकता है |
·       अगर बेचैनी व्यक्ति के दैनिक जीवन की गतिविधियों को बाधित करती हो तो परिवार के देखभालकर्ताओं को प्रोफेशनल मदद लेनी चाहिए ताकि डिमेन्शिया से प्रभावित व्यक्ति को जल्द से जल्द राहत दी जा सके |
द. चिड़चिड़ाहट पर काबू पाना :
डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति कई बार उतावले हो उठते हैं. वे झटपटाहट दिखाने लगते हैं तथा समझ नहीं पाते कि उन्हें क्या करना है | चिड़चिड़ाहट का कारण यह भी हो सकता है कि वे डरने लगते हैं कि उनके साथ क्या हो रहा है | या फिर इसलिए भी क्योंकि वे एक नये माहौल में रह रहे हों या उसमें कदम रख रहे हों | चिड़चिड़ाहट दरअसल अवसाद, गुस्से या बेचैनी का हिस्सा हो सकता है |
समर्थन तथा सहयोग :
·       डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति को यह समझाएं कि वह अस्वस्थ है तथा मुश्किलों का सामना करने के लिए जरुरी समर्थन दें |
·       व्यक्ति को सुरक्षित माहौल में यथासंभव मुक्त रूप से घुमने – फिरने दें लेकिन जब वे बहुत उतावले हो जाएं तो उन्हें किसी प्रकार की चोट लगने से बचाना जरुरी है |
·       जब व्यक्ति शांत होने या बैठने लगे तो उसे देखभालकर्ता द्वारा धैर्य के साथ समझाना चाहिए कि वह चिड़चिड़ाहट क्यों महसूस कर रहा है तथा ऐसे में क्या करने से उसे ख़ुशी मिल सकती है तथा अच्छा लग सकता है |
·       व्यक्ति के लिए एक नोटिस बोर्ड तथा गत्ते के बड़े टुकड़े पर दिनचर्या के मुख्य बिंदुओं को लिख कर रखें ताकि वह अपने दिन भर के कार्यक्रम को देख सके, इससे उसे चिड़चिड़ाहट को कम करने में मदद मिलेगी |
·       उसे पर्याप्त मात्रा में द्रव पदार्थ पीने को दें तथा उसके कमरे में दवा कि भरपूर आवाजाही बनाए रखें ताकि वह ज्यादा गर्मी या डीहाईड्रेशन महसूस न करे | व्यक्ति के लिए कोई रोचक काम ढूंढ निकालना उसके ध्यान को दूसरी तरफ लगाए रखना है जिससे उसे चिड़चिड़ाहट से बचाया जा सकता है | जैसे कि अगर डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति को कलात्मक कार्य या संगीत सुनना पसंद है तो परिवार के देखभालकर्ता उसे कोई कलात्मक कार्य दे सकते है या मधुर संगीत सुना सकते हैं | इसके बाद उन्हें किसी काम के लिए आमंत्रित किया जा सकता है |
·       बैचनी की तरह डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति चिड़चिड़ाहट में होने पर शाब्दिक या सांकेतिक तसल्ली चाहते हैं ताकि वे शांत हो सकें |
य. मूड बदलने पर काबू पाना :
डिमेन्शिया से पीड़ित अनेक लोगों का मूड बीमारी के दौरान कई बार खराब रहता है | वे अपने जीवन में उमंग, उत्साह को खो देते हैं | वे घर में चुपचाप बैठे रहना पसंद करते हैं तथा कुछ भी नहीं करते हैं | कुछ लोग अपनी स्मरणशक्ति संबंधी समस्याओं के बारे में बातचीत करने से बचते हैं और स्मरणशक्ति की लघुकालीन कमियों को छिपाने की कोशिश करते हैं | लोगों द्वारा उनके बार – बार भूल जाने के व्यव्हार को देखे जाने पर वे अत्यन्त संवेदनशील हो उठते हैं तथा अपनी संज्ञानात्म्क समस्याओं को छिपाने के लिए बहाने बनाने लगते हैं |
समर्थन तथा सहयोग ऐसा करें :
·       नये माहौल या स्थान में जाते समय व्यक्ति को निरन्तर समर्थन की जरूरत होती है, परिवार के देखभालकर्ता को चाहिए कि वह व्यक्ति की प्रतिक्रिया तथा व्यवहार पर नजदीक से नजर रखे |
·       मनोवैज्ञानिक तैयारी जरुरी है क्योंकि व्यक्ति के लिए अपने आसपास के माहौल को समझने तथा अनुरोधों या निर्देशों को समझने में थोड़ा समय लगता है |
·       व्यक्ति को संकेत तथा आसान से निर्देश देकर तैयार करने की कोशिश करें | बाथरूम की बत्ती जलाकर, बाथरूम में कपड़े और तौलिये को टांगकर व्यक्ति को विनम्रता के साथ बताएं कि नहाने का सामान तैयार है | साथ ही व्यक्ति का हाथ पकड़कर उसे बाथरूम की तरफ ले जाकर आप नहाने के लिए तैयार कर सकते हैं | अगर व्यक्ति कुछ आनाकानी करे तो उसकी नकारात्मक प्रतिक्रिया को ठंडी पड़ने दीजिए तथा थोड़ी देर बाद फिर से पूछिए जब व्यक्ति शान्त नजर आ रहा हो तथा बात को भूल गया हो | यह तरीका अक्सर काम करता है क्योंकि बात प्यार से तथा धमकाए बिना कही जाती है |
·       डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति के मनोभाव यानी मूड को थामना सीखें | उसकी अरुचि, उदासीनता तथा उत्साहहीनत के लक्षणों एवं व्यवहारात्मक परिवर्तनों जैसे कि दूसरों के प्रति बातचीत में आक्रामक हो उठने इत्यादि के लक्षणों को पहचानने की कोशिश करें |
ऐसा न करें :
व्यक्ति को पर्याप्त रूप से तैयार किए या मनाए बिना अचानक किसी काम की तरफ धकेलें नहीं ( जैसे कि नहाना, भोजन करना इत्यादि ) | उसे कदम दर कदम राह दिखाएं, अगर वह किसी काम को करने का तरीका भूल गया हो या भूल रहा हो |
·       परिवार के देखभालकर्ताओं को व्यक्ति के मूड के उतार – चढ़ावों पर ध्यान से गौर करना चाहिए तथा उनसे सावधानीपूर्वक निबटना चाहिए | डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति जल्दी ही उदास हो जाता है क्योंकि वह बाहरी मांगों को समझने की क्षमता गंवा चुका होता है तथा उसे तनावों को झेलने में दिक्कतें आती है |
४.   सामाजिक समर्थन :
हर कोई सामाजिक जगत से निकट सम्पर्क बानए रखना चाहता है | यह कार्य विभिन्न स्थानों पर जाकर या तरह – तरह के लोगों से मिलकर किया जा सकता है | व्यक्ति दोस्तों से मिलने के लिए बाहर जाने या नये स्थानों पर घूमने जाने से इसलिए इन्कार कर सकता है ताकि वह गल्तियां करने से बच सके एवं इसलिए कि उसे यह मालूम नहीं होता कि उचित तरीके से कैसे पेश आना चहिए |
अ.  पुराने मित्रों से सम्पर्क रखना :
जब डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति रिटायर होता है वह अपने पुराने सामाजिक दायरे को खोना शुरू कर देता है. एक बार जैसे कि यह सम्पर्क रुकता है, उसकी दीर्घकालीन स्मृति से महत्त्वपूर्ण जानकारियां ( जैसे कि मित्रों के नाम, यादगार घटनाएं आदि ) तेजी से मिटने लगती हैं. इसीलिए व्यक्ति को अपने पुराने मित्रों से सम्पर्क बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करना उनके लिए फायदेमंद हो सकता है.
समर्थन तथा सहयोग :
व्यक्ति को पुराने मित्रों के साथ नियमित सम्पर्क बनाए रखने में मदद करें जैसे कि उसे पुराने सहकर्मियों या मित्रों को फ़ोन करने के लिए प्रोत्साहित करें.
स्नेह मिलन जैसे कि महीने में एक बार चाय – पार्टी जैसे आयोजन करें.
व्यक्ति को आसपास के पुराने मित्रों से मिलने के लिए ले जाएं.
व्यक्ति को अपने मित्रों को जन्मदिन शुभकामना कार्ड, क्रिसमस कार्ड, पोस्टकार्ड, पत्र आदि भेजने के लिए प्रोत्साहित एंव मदद करें.
ब. खरीदारी या रेस्टोरेन्ट्स में जाना :
बाहर शॉपिंग या खाने के लिए जाना सामाजिक व्यव्हार का अवसर प्रदान करता है | व्यक्ति को एक सामान्य वातावरण में दूसरों के साथ बातचीत करने का मौका देना चाहिए ताकि वह लोगों का स्वागत करने, मुस्कराने तथा बातचीत का जवाब देने जैसे सामाजिक क्रियाकलापों को भूल न जाए |
समर्थन तथा सहायता :
·       व्यक्ति को जानी – पहचानी दुकानों या रेस्टोरेन्ट्स में नियमित रूप से ले जाएं ताकि वह वहां सहजता का अनुभव कर सके |
·       जब व्यक्ति को किसी नई जगह पर ले जाएं तो उसे दुकान, स्थान आदि का नाम बताकर तथा कुछ रोचक विवरण देते हुए एवं वहां आने का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए सहज रहने में मदद करें | स्थिति से अनजान रहने से केवल भ्रम, बेचैनी तथा भटकाव ही पैदा होगा |
·       बहुत ज्यादा भीड़भाड़ वाली जगहों पर डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति को ले जाने से बचें क्योंकि वह बहुत सारे लोगों या चीजों को देखकर उत्तेजित हो सकता है या नियंत्रण से बाहर हो सकता है |
स. म्यूजियम देखने जाना :
समर्थन तथा सहयोग :
·       यहां व्यक्ति को घूमने फिरने तथा पुरानी अच्छी चीजों को देखने का एक अच्छा माहौल मिलता है | देखभाल करने वाले व्यक्ति को चाहिए कि वह व्यक्ति को म्यूजियम की चीजों के बारे में धीरे – धीरे तथा स्पष्ट रूप में बताए | अत: इस दिशा में पहले से की गई तैयारी मददगार साबित होगी | इस प्रकार के भ्रमण को आधिक सुखद एवं तनावरहित अनुभव बनाने के लिए ये सब जानकारियां पहले से ले लेनी चाहिए – जैसे कि वहां क्या - क्या प्रदर्शित किया गया है, म्यूजियम में कितनी मंजिलें हैं, क्या लिफ्ट की व्यवस्था है, कितने बजे से कितने बजे तक खुला रहता है, वरिष्ठ नागरिकों के लिए क्या रियायती टिकट हैं तथा भीड़भाड़ से बचने के लिए कौन सा समय उपयुक्त रहेगा इत्यादि |
द. पार्क की सैर करना :
पार्क एक ऐसी जगह है जहां डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति को संज्ञान के विविध क्षेत्रों में उत्प्रेरण मिल सकता है | दष्टि ( फूलों, वृक्षों, पौधों तथा लोगों के जरिए ), स्पर्श ( पौधों, वृक्ष के तने तथा पालतु पशुओं से ), ध्वनि ( पक्षियों की चहचहाहट, हंसी – ठहाके के द्वारा ), गंध ( फूलों की खुशबू तथा ताजी हवा ), आईस्क्रीम का दिलखुश स्वाद तथा धूप की गर्माहट या ठंडी – ठंडी हवा के झौंकों का अहसास व्यक्ति को सुंकून देकर ऊर्जा और उमंग से भर सकता है |
समर्थन तथा सहायता :
·       खास समय लेकर व्यक्ति को किसी नजदीकी पार्क में या बड़े नेशनल पार्क में ले जाएं | उन्हें ऊपर वर्णित पांच संज्ञानों को इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करें | उन्हें फूलों तथा विभिन्न पौधों के नाम बताने एवं बागवानी के बारे में बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करें |
·       नियमित रूप से विभिन्न स्थानों पर भ्रमण करते हुए समाज के सम्पर्क में रहने से विक्षिप्तावस्था से पीड़ित व्यक्ति की सामाजिक क्षमताओं को बनाए रखने में मदद मिल सकती है | दूसरे लोगों से घुलने – मिलने तथा बातचीत करने से एक स्वस्थ सामान्य सामाजिक जीवन जीने में मदद मिल सकती है |
५.   वास्तविकता को समझना :
वास्तविकता के प्रति अभिमुखीकरण का उद्देश्य डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति को यह बोध कराए रखने में मदद करता है कि उसके आसपास वास्तव में क्या घट रहा है | इसका मतलब दशा को उलटना या उसका उपचार करना नहीं है बल्कि उचित सहयोग प्रदान करना है ताकि व्यक्ति अपना कामकाज जारी रख सके तथा तदनुसार प्रतिकिया वयक्त कर सके |
वास्तविकता को समझने के कार्य को केवल दिन के समय या दिन के कुछ चुने हुए घंटों तक के लिए ही सीमित नहीं रखना चाहिए क्योंकि डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्तियों में शाम के समय भूलने तथा मतिभ्रम होने की प्रवृत्ति काफी आम होती है |
घर में वास्तविकता को समझने हेतु उपयोगी सुझाव :
अ.  व्हाइट बोर्ड तैयार करें :
सहजता से नजर आने व पहुंचवाली जगह पर एक व्हाइट बोर्ड लगाएं, उसमें रोज़ाना के कार्यक्रमों तथा मुलाकातों आदि के बारे में सरल व स्पष्ट रूप में लिखें ताकि व्यक्ति जानकारी को देख कर उसका सही तरीके से पालन कर सके |
व्हाइट बोर्ड का इस्तेमाल खासतौर से प्रारंभिक अवस्थाओं के दौरान सहायक होगा. इसलिए व्यक्ति को जितने जल्दी व्हाइट बोर्ड के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दिया जाएगा देखभालकर्ता का कार्यभार उतने ही जल्दी थोड़ा कम होगा |
व्हाइट बोर्ड का आकार इस बात पर निर्भर करेगा कि आपको उस पर कितनी जानकारी लिखनी है | सिध्दान्त रूप से, सरल शब्दों, बड़े अक्षरों का इस्तेमाल करने से पढ़ने और समझाने में आसानी होती है |
समर्थन तथा सहयोग :
अलग – अलग मदों के लिए काली या नीली स्याही के पेनों का इस्तेमाल करें ( जैसे कि दवाईयों के लिए – काली तथा मुलाकातों के लिए – नीली इत्यादी ) | विशेष घटनाओं या कार्यों को दर्शाने के लिए रंगीन मैग्नेट्स का इस्तेमाल किया जा सकता है |
लम्बे – लम्बे वाक्यों के इस्तेमाल से बचें, बल्कि सरल शब्दों का इस्तेमाल करें |
इस बात की जांच करें कि क्या लिखी गई बात को व्यक्ति समझ पा रहा है | उसे जोर से पढ़ने तथा उसका अर्थ स्पष्ट करने के लिए प्रोत्साहित करें | कई बार के अभ्यास के बाद व्यक्ति अपेक्षित जानकारी के लिए बोर्ड को देखने की बात याद रखने लगेगा |
ब. कैलेन्डर का इस्तेमाल :
कैलेन्डर में अक्सर नीचे की तरफ विशेष अवसरों को नोट करने के लिए खाली जगह होती है जैसे कि जन्मदिन, त्योहार तथा डॉक्टर से मुलाकात करने का दिन इत्यादी |
स. बड़ी घड़ीयों का इस्तेमाल :
चूंकि डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति को समय की जानकारी की भी जरूरत हो सकती है अत: बड़ी घड़ी का इस्तेमाल करें जिस पर संख्याएं बड़ी और स्पष्ट रूप में अंकित हो तथा घंटे व मिनट के काटें साफ नजर आते हों | सेकेण्ड का कांटा भी तो बेहतर होगा क्योंकि सेकेण्ड का कांटा हमेशा चलता नजर आता है |
समर्थन तथा सहयोग :
ऐसी घड़ी चुने जिसमें संख्याएं अंग्रेजी में लिखी हों ( 1, 2, 3, 4 ) | ( नोट : रोमन नंबरों को पढ़ना थोड़ा मुश्किल होता है जैसे कि तखख यानी सात ) | घड़ी में लम्बे व छोटे दोनों कांटे हों |
संख्याएं काफी बड़ी हो ताकि साफ – साफ पढ़ी जा सके |
घड़ी को ऐसी जगह पर टांगे जहां से स्पष्ट रूप से देखी जा सके, वहां पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए |
व्यक्ति के साथ समय – समय पर थोड़ा समय बिताते हुए उसे सही समय देखने का अभ्यास कराएं |
सुनिश्चित करें कि व्यक्ति की नजर की रोशनी ठीक है |
द. कमरों पर लेबल चिपकाना :
डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्तियों में अपने आसपास के माहौल के बारे में कुछ हद तक भ्रम की स्थिति होती है और इस का कारण से वे गलत बेडरूम में जा सकते हैं या उन्हें बाथरूम ढूंढने में दिक्कत हो सकती है ( खासतौर से रात के वक्त )
समर्थन तथा सहयोग :
कमरे में रहने वाले व्यक्ति की आसान पहचान के लिए उसके दरवाजे पर उसके फोटो के साथ नाम लिखें |
टॉयलेट / बाथरूम की पहचान के लिए दरवाजे पर टॉयलेट सीट या बाथटब की तस्वीर तथा किचन के लिए स्टोव या ओवन का चित्र लगाया जा सकता है |
व्यक्ति कहीं मुख्य दरवाजा खोलकर अनजाने में घर से बाहर न चला जाए, इसके लिए मूख्य दरवाजे का रंग वाल पेपर या दीवार के पेन्ट का रखें अथवा दरवाजे पर हल्का पर्दा लगाएं ताकि व्यक्ति को उस तक पंहुचने से रोका जा सके |
हर कमरे तथा व्यक्ति के नाम को रोज़ाना देखने से उसके लिए अपना बेडरूम, बाथरूम या किचन को पहचानना आसान होगा |
य. रोज़ाना समाचारपत्र पढ़ना :
रोज़ाना समाचारपत्र पढ़ने से व्यक्ति का सम्पर्क स्थानीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खबरों व घटनाओं से बना रहेगा |
समर्थन तथा सहयोग :
व्यक्ति को प्रतिदिन समाचारपत्र खरीदने के लिए प्रोत्साहित करें |
व्यक्ति के साथ समाचारपत्र पढ़े |
उससे पूछें कि उसने आज समाचारपत्र में क्या – क्या पढ़ा है |
व्यक्ति के साथ उन सुर्खियों तथा अन्य खबरों की चर्चा करें जो कि उसे रोजक लगी हों |
बुरी खबरों के बजाय अच्छी खबरों को चुनें क्योंकि इससे बातचीत का माहौल अच्छा रहेगा |
व्यक्ति को खबरों पर अपनी राय देने को कहें | उसकी टिप्पणियों या राय पर कोई निर्णय करने से बचें बल्कि इसे पूरी कहानी को समझने की उसकी क्षमता तथा उसकी तर्क क्षमता का आकलन करने का एक मूल्यवान माध्यम समझें |
 फ. स्थानीय दुकानों में बाहर घूमने जाना :
स्थानीय दुकानों में आयी नवीनतम सामग्रियों या वस्तुओं की ओर व्यक्ति का ध्यान केन्द्रित करने की कोशिश करें ताकि उसे जानकारी मिल सके कि वास्तविक जगत में क्या घटित हो रहा है |
समर्थन तथा सहयोग :
स्थानीय दुकानों तथा दुकानों में उस समय जाएं जब कि वहां बहुत ज्यादा भीड़भाड़ न होती हो |
एस्केलेटरों का इस्तेमाल करें ताकि व्यक्ति वहां का व्यापक नजारा देख सके |
ऐसी जगहों पर जाने से बचें जहां टूटने – फूटने वाली चीजें प्रदर्शित की गई हों |
उसे चीजों को देखने – परखने – छूने और हैंडल करने दें, लेकिन उस पर ध्यान रखें ताकि वह किसी चीज को गिरा न दे |
विभिन्न वस्तुओं को देखते – परखते हुए उसकी प्रतिक्रिया पर गौर करें ताकि पता चल सके कि उसकी दिलचस्पी किन चीजों में है |
निष्कर्ष :
वास्तविकता का बोध कराने वाले अभ्यास दिन के समय तथा रात के समय भी किए जाने चाहिए | डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति का वास्तविकता से सम्पर्क रखने के लिए वातावरण के संकेतों का इस्तेमाल करें |
देखभालकर्ता को वास्तविकता का बोध कराने का काम सही परिप्रेक्ष्य में करना चाहिए | हालांकि यह प्रक्रिया काफी मददगार होती है लेकिन संज्ञानात्मक क्षति के बढने, खासतौर से दीर्घकाल में स्मरणशक्ति की हानि को, यह रोक नहीं सकती है |
६.   सफर के लिए उपयोगी सुझाव :
क्या आप डिमेन्शिया से पीड़ित व्यक्ति के साथ कहीं सफर पर जाने की योजना बना रहे हैं ? तो आपके लिए हम पेश करते हैं कुछ सुझाव :
व्यक्ति की डिमेन्शिया की स्थिति पर विचार करें | अपने आकलन एवं अनुभव पर विश्वास करें | अपनी अपेक्षाओं तथा योजनाओं के साथ अपने परिवार के सदस्यों के कौशल को मिलाने की कोशिश करें | आगे की योजना बनाएं. विलम्ब, कार्यक्रमों में परिवर्तन, मौसम तथा अपने परिवार के सदस्यों की जरूरतों को भी ध्यान में रखें |
उन भौतिक बाधाओं पर गौर करें जो सफर को प्रभावित कर सकती है | आपके परिवार का सदस्य कितनी दूर तक पैदल चल सकता है ? अगर दृष्टि संबंधि बाधकता है तो आपको हाथ पकड़कर ले चलना होगा या किसी सहायक की व्यवस्था करनी होगी | अगर परिवार के सदस्य को ठीक से सुनाई नहीं देता है तो सुनिश्चित करें कि कान की मशीन को उचित वॉल्यूम पर ऑन किया गया है तथा अतिरिक्त बैटरियां साथ ले लें |
आपकी योजनाएं सरल – साधी होनी चाहिए | तेज गति वाले कार्यक्रम न बनाएं | जितने कम परिवर्तन होगें आपके परिवार के सदस्य के चिड़चिड़ाहट की संभावनाएं भी उतनी ही कम होंगी |
·       बाथरूम : बाथरूम हेतु ज्यादा बार रुकने का प्रावधान रखें तथा सुरक्षाकारी ब्रीफ्स रखने की जरूरत पर विचार करें | बाथरूम संबंधी जरूरतों से निबटने में बस स्टैंड / रेलवे स्टेशन पर मदद के लिए किसी मित्र या परिवार के सदस्य ( जो कि व्यक्ति के लिए लिंग का हो ) को साथ ले लें |
·       हल्की – फूल्की पौकिंग करें | परिवार के सदस्य को थामने के लिए आपके हाथों का खाली रहना जरुरी है | अगर आपके साथ कई पकेज या सूटकेस हो सकते हैं तो उन्हें पहले भिजवाने पर विचार करें |
·       यात्रा के समय पर विचार करें | व्यक्ति एक स्थान पर कितनी देर बैठ सकता है ? क्या आपके परिवार के सदस्य को बीच - बीच में टहलने की जरूरत पड़ती है ? क्या वह दिन के किन्हीं निश्चित समयों पर कार्यो को बेहतर ढंग से कर पाता है |
·       रोगी को कभी अकेला या कई जगह रुकने वाली बस पर न भेजें |
·       सफर में कई पड़ावों तथा नाश्ते आदि के लिए अंतराल की योजना बनाकर चलें. निर्धारित समय पर भोजन करने की कोशिश करें |
·       परिचित गतिविधियां बनाए रखें | कुछ पत्र पत्रिकाएं, ताश, पर्स या अन्य ऐसी गतिविधियां जो आपके परिवार के सदस्य को घर में पसन्द हो, आप जारी रख सकते हैं | इससे माहौल में परिवर्तन से उनके ध्यान को दूर रखने में मदद मिलेगी तथा परिचित क्रियाकलापों के जरिए उन्हें शान्त रखा जा सकेगा |
·       अपने एवं अपने परिवार के सदस्य के साथ संकटकालीन सम्पर्क व फ़ोन नंबर रखें |



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