साइकोसिस और न्युरोसिस में क्या फरक है ? Psychosis Neurosis Difference In Hindi

What is the difference between neurosis and psychosis ?



आज कल जिंदगी तनाव और भागा-दौड़ी की वजह से कई सारी मानसिक तकलीफे आम तौर पे लोगों को सहेन  करनी पड़ रही है |

What is difference between neurosis psychosis


मन मे तनाव ( emotional stress ) पैदा होना अत्यंत सर्व सामान्य बात हो गई है, लेकिन हमें उस तनाव से बाहर निकलना सीखना अत्यतं जरुरी है|

 अन्यथा ये हीं तनाव आगे बढ़कर मानसिक व्याधीओं के निर्माण होने का कारण बन जाती  है |
मन की व्याधियां विविध प्रकार की होती है | हर व्याधि या तकलीफ की वजह अलग होती है |
मानसिक तकलीफे होने के कारण :


व्यक्ति का मस्तिष्क , मज्जातंतु (neurons), रासायनिक रचना ( chemical makeup ) , व्यक्तिमत्व , तनाव सहने की क्षमता , वातावरण तनाव , इत्यादि विविध घटकों के ऊपर विविध मानसिक समस्यांए निर्माण होनेकी  शक्यता  होती है |


वर्गीकरण :

मन की तकलीफों को व्याधिओं को दो प्रकारों में विभाजित कर सकते है :

न्युरोसिस (neurosis) [मानसिक क्लेश]


Neurosis (मानसिक क्लेश) और psychosis (मनोविकृति) इन दोनों में कुछ प्रमुख फर्क है /
मानसिक क्लेश (neurosis)

व्यक्ती को पता चलता है की उसके विचारों मे और बर्ताव मे कुछ अनचाहा बदलाव आ रहा है । ईस लिये वो चाहता है की किसी तरह से इन नकारत्मक एवं क्लेश दायक विचोरों से बाहर आएँ । और बाहर निकलने की कोशिश करता है ।लोगों की या रिश्तेदारों की मदत लेने के लिए तयार होता है ।
व्यक्ती को वास्तव और अवास्तव विचोरों मे का फर्क समज मे आता है / वास्तविक जीवन (Real Life) मे मानसिक तकलीफों की वजह से होने वाला फर्क उसे अच्छा नहीं लगता ।
व्यक्ती उपचार के लिए किसी विशेषज्ञ की मदत लेने के लिए तयार होता है ।
उदा : उदासीनता (Depression), घबाराहट (Anxiety), अतिभय (Phobia), हृदयविकार (Heart Attack) का भय ( cardiac neurosis ), निंद्रानाश (Insomnia) ऐसे लक्षण आमतौर पर देखे जाते है ।


सयकोसिस (psychosis) [मनोविकृति]

व्यक्ती यह समझ ही नहीं पाता की उसके विचार गलत दिशा में जा रहे है । 

उसके विचारों की वजह से उसके बर्ताव और रोज के जीवन पर असर होने लगता है / उसे रिश्तेदार या आस पास के लोग वास्तव समझाने की कोशिश करते है; लकिन वो मानने को तयार नहीं होता की उसकी कुछ गलत विचार सरणी या गलत धारणाये है / 

उसे लगता है की समझाने वाले ही गलत है /
व्यक्ती को अवास्तव मन की बातें ही वास्तव लगाने लगती है / व्यक्ती के वास्तविक जीवन (Real Life) में होने वाला नुकसान वो समझ नहीं पता /
व्यक्ती डॉक्टर, मनोविकार तज्ञ के पास जाने के लिए बिलकुल तयार नहीं होता /
उदा :. वयक्ती को अलग अलग वेह्म होना / कानों में लोगोंकी आवाजे सुनाई देना / चित्र विचित्र परछाईया - लोग दिखना / अपने खिलाफ कोई साजिश चल रही है / मेरे बारे मे ही लोग बात कर रहे हैं, ऐसा लगते रहना /

Psychosis और Neurosis ये दोनों ही तरह की तकलीफे मस्तिक में होने वाले रसायनों के असंतुलन और तनाव की वजह से होती है /
दोनों ही किस्म की तकलीफों का अच्छी तरह से उपचार करके ठीक किया जा सकता हैं /
कृपया नजदीकी मानसोपचार तज्ञ से मिलने से ना हिचकिचाएं ।।

Comments